बूंद-बूंद पानी के लिए तरस जाएंगे दिल्लीवासी (जिन समाचार संगठनों को यह फाइल मंगलवार को नहीं मिल पाई उनके लिए दोबारा जारी)
नई दिल्ली, 30 जुलाई (आईएएनएस)। दिल्लीवासियों को निकट भविष्य में पानी की कमी के संकट से निजात मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। एक ताजा अध्ययन के अनुसार यह संकट वक्त के साथ-साथ कम होने के बजाए और ज्यादा गहराएगा।
नई दिल्ली, 30 जुलाई (आईएएनएस)। दिल्लीवासियों को निकट भविष्य में पानी की कमी के संकट से निजात मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। एक ताजा अध्ययन के अनुसार यह संकट वक्त के साथ-साथ कम होने के बजाए और ज्यादा गहराएगा।
एक नए अध्ययन में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि इसकी वजह से टकराव बढ़ेगा और प्रदूषण की मात्रा में भी वृद्धि होगी।
औद्योगिक समूहों के संगठन 'एसोचैम' की ओर से कराए गए ताजा अध्ययन में कहा गया है कि राजधानी में पानी की कमी की समस्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। गर्मियों में तो हालत और भी बिगड़ जाती है।
आईएएनएस को उपलब्ध कराई गई इस अध्ययन की रिपोर्ट में कहा गया है,"आने वाले समय में राजधानी में यह समस्या और भी विकट रूप धारण कर लेगी, जिसकी वजह से तनाव और फसाद बढ़ेंगे।"
रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां एक ओर पानी की कमी है, वहीं दूसरी ओर इसकी बर्बादी भी बहुत ज्यादा है। यहां करीब 40 प्रतिशत पानी बर्बाद हो जाता है। अन्य विकासशील देशों की तुलना में यहां पानी की बर्बादी 10 से 20 प्रतिशत ज्यादा होती है।
ऐसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत के अनुसार, "करीब 9000 किलोमीटर लंबी जलापूर्ति श्रंखला में वितरण के समय रिसाव की वजह से काफी पानी बर्बाद हो जाता है और इसके अलावा अवैध कनेक्शनों की वजह से पानी चोरी भी हो जाता है।"
अध्ययन में दिल्ली जल बोर्ड को होने वाले राजस्व नुकसान को भी उल्लेख किया गया है। इसके द्वारा आपूर्ति किया जाने वाले 56 प्रतिशत पानी का कोई हिसाब नहीं रहता जिसकी वजह से 19.91 अरब रुपये का नुकसान होता है।
रिपोर्ट में जल प्रदूषण पर भी चिंता व्यक्त की गई है। हिमालय से निकलने के बाद 395 किलोमीटर की दूरी तय करके जब यमुना का पानी दिल्ली पहुंचता है तो वह यहां गंदगी से लबालब हो जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक दिल्लीवासी रोजाना करीब 95 करोड़ गैलन सीवर का पानी इसमें बहाते हैं। यहां से बाहर निकलते हुए यह नदी शहर के प्रमुख नाले जैसी दिखाई देने लगती है।
अध्ययन में कहा गया है कि यमुना के पानी की सतह पर सीवर की गंदगी तथा मीथेन गैस कुलबुलाते रहने की वजह से यह पीने की बात तो छोड़िए, नहाने के भी लायक नहीं रहता।
अध्ययन में जिन चिंताजनक बातों की ओर इशारा किया गया है, वे हैं:
- राजधानी को रोजाना 427.5 करोड़ लीटर पानी की जरूरत होती है।
- जलापूर्ति रोजाना 337.5 करोड़ लीटर होती है।
- वर्ष 2021 तक प्रतिदिन 110.3 करोड़ लीटर घाटा होने का अनुमान है।
- राजधानी का 40 प्रतिशत जल वितरण के समय बर्बाद हो जाता है।
- वितरण नेटवर्क में 8,960 किलोमीटर पाइप शामिल हैं।
- बिकने वाले 23 प्रतिशत पानी का कोई हिसाब नहीं।
- दिल्ली जल बोर्ड को 56 प्रतिशत पानी से कोई राजस्व नहीं मिलता।
- बिलों का भुगतान न किए जाने के कारण दिल्ली जल बोर्ड को होने वाला नुकसान 19.91 अरब रुपये है।
- दिल्ली में स्थित एक चौथाई घर भूजल पर निर्भर हैं।
- मौजूदा कुओं में से 78 फीसदी का अतिरिक्त दोहन किया जा रहा है।
- राजधानी में हर वर्ष भू-जल स्तर 10 मीटर नीचे खिसक रहा है।
- यमुना से हर रोज 23 करोड़ गैलन पानी निकाला जा रहा है।
- यमुना में रोजाना 95 करोड़ गैलन अपशिष्ट पदार्थ छोड़ा जा रहा है।
- यमुना में गंदगी का स्तर नहाने के पानी के लिए तय सीमा से एक लाख गुना अधिक है।
- पिछले 27 दिनों में राजधानी में 611 मिलीमीटर वर्षा हुई।
- दिल्ली में पानी की रोजाना प्रति व्यक्त खपत 274 लीटर है।
- घरेलू इस्तेमाल के लिए प्रति व्यक्ति 172 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है।
- व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए रोज प्रति व्यक्ति 47 लीटर पानी की खपत।
- होटलों और यात्रियों द्वारा रोजाना प्रति व्यक्ति 52 लीटर पानी का उपयोग।
- अग्निशमन के लिए प्रति व्यक्ति तीन लीटर पानी का रोजाना प्रयोग होता है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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