चंबल में लगेंगी औद्योगिक इकाइयां

By Staff
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Beehar of Chambal
भोपाल, 30 जुलाई: मध्‍यप्रदेश के चंबल इलाके से जब भी कोई ट्रेन गुजरती है, तो माता-पिता अपने बच्‍चों से यही कहते हैं, कि बेटा यह डाकुओं का इलाका है। लेकिन अब वो दिन दूर नहीं जब लोग यह कहेंगे कि हमें इसी चंबल में नौकरी करनी है। वो ऐसे कि पिछले छह दशकों से इलाके के बीहड़ों में जहां डकैतों की फसल लहलहा रही है, वहां औद्योगिक इकाईयां खोली जाएंगी।

ग्‍वालियर में आयोजित इंवेस्‍टर्स मीट में मध्यप्रदेश सरकार ने यह दावा किया है कि इस क्षेत्र में औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा।
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि अब चंबल की पहचान बदलने का दौर आ गया है।

मुख्यमंत्री ने निवेशकों से अनुरोध किया है कि वे ग्वालियर चंबल अंचल में टेक्सटाइल क्षेत्र, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों और रीयल एस्टेट क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा निवेश करें।

ऐसा करने से निवेशकों को तो लाभ होगा ही साथ ही प्रदेश के विकास में भी वे सहायक बनेंगे। पूरे प्रदेश में उद्योगों की स्थापना के लिए जरूरी शांति के माहौल के साथ वो सारी सुविधाएं हैं जिसकी उन्हें जरूरत है।

गौरतलब है कि चंबल में पुतली बाई, मौहर सिंह, माधव सिंह से शुरू होने वाली डकैतों की फेहरिस्त में दर्जनों नाम आते हैं। यही कारण है कि खून खराबा चंबल की पहचान बन गई है। इस कारण चंबल के पास स्थित मुरैना, भिंड, शिवपुरी आज भी विकसित नहीं हो सके।

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