नेपाल में उपराष्ट्रपति के हिंदी में शपथ लेने का विवाद गहराया
काठमांडू, 29 जुलाई (आईएएनएस)। नेपाल में उपराष्ट्रपति परमानंद झा के हिंदी में शपथ लेने से उत्पन्न विवाद तराई में रहने वाले लोगों और पहाड़ियों के बीच पहुंच गया हैं। दोनों पक्ष अपने-अपने इलाकों में हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं सर्वोच्च न्यायालय में भी झा के हिंदी में शपथ लेने को चुनौती दी गई।
काठमांडू, 29 जुलाई (आईएएनएस)। नेपाल में उपराष्ट्रपति परमानंद झा के हिंदी में शपथ लेने से उत्पन्न विवाद तराई में रहने वाले लोगों और पहाड़ियों के बीच पहुंच गया हैं। दोनों पक्ष अपने-अपने इलाकों में हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं सर्वोच्च न्यायालय में भी झा के हिंदी में शपथ लेने को चुनौती दी गई।
राजधानी काठमांडू और अशांत माने जाने वाले तराई के क्षेत्रों में प्रदर्शनकारियों ने लगभग तीन दर्जन वाहनों को आग के हवाले कर दिया है। भारत की सीमा से सटे शहरों में बंद का आह्वान किया गया है।
विभिन्न इलाकों में झा के विरूद्ध लगातार छठे दिन भी प्रदर्शन हो रहे हैं। संविधान सभा के सदस्यों ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। आठ छात्र संगठन झा के हिंदी में शपथ लेने को राष्ट्रविरोधी कदम मान रहे हैं।
छात्र संगठनों की मांग है कि झा को फिर से शपथ दिलायी जानी चाहिए। दूसरी ओर भारतीय मूल के युवकों ने झा के कदम का समर्थन किया है। मधेशी युवकों का कहना है कि झा ने कोई भी गलत काम नहीं किया है।
हिंदी भाषी विरोधी प्रदर्शनकारियों ने नवालपारसी जिले में यातायात और शैक्षणिक संस्थानों को बंद रखा, वहीं इसके जवाब में मधेशियों ने परसा जिले में बंद का आह्वान किया।
झा के हिंदी में शपथ लेने का विवाद सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गया। राष्ट्रवादी वकील बाल कृष्ण नेउपाने ने झा के हिंदी में शपथ लेने को गैरकानूनी कहा है। उन्होंने कहा कि जब तक झा नेपाली में शपथ नहीं लेते हैं, तब तक उन्हें उपराष्ट्रपति कार्यालय से दूर रखना चाहिए।
न्यायाधीश दामोदर प्रसाद शर्मा ने उपराष्ट्रपति कार्यालय से झा के हिंदी में शपथ में लेने पर एक हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है। हालांकि, शर्मा ने झा को कार्यालय जाने पर रोक लगाने की अपील ठुकरा दी है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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