भारत में बढ़ रहा है स्कार्फ का चलन
नई दिल्ली, 29 जुलाई (आईएएनएस)। रोमन साम्राज्य में चलन में आने के बाद से लेकर अब तक स्कार्फ की स्वीकार्यता में भारी इजाफा हुआ। पश्चिमी देशों में फैशन का अभिन्न हिस्सा बन गया स्कार्फ अब भारत में भी लोगों की पसंद बनता जा रहा है। गर्दन की शोभा बढ़ाने वाला यह उत्पाद बाजार में कई रंग-रूपों में मौजूद है।
यूं तो पश्चिमी देशों की तरह भारत में स्कार्फ अधिक लोकप्रिय नहीं है, पर धीरे-धीरे बाजार में इसकी पैठ बढ़ती जा रही है। कुछ लोगों के लिए जहां यह आवश्यकता बन गया है तो कुछ इसे अपने फैशनपरस्त मिजाज के अनुकूल मानने लगे हैं। स्कार्फ की बढ़ती लोकप्रियता की वजह यह है कि इसे किसी भी भारतीय या विदेशी पोशाक के साथ पहना जा सकता है।
भारतीय बाजारों में सूती और शिफॉन के आयताकार, तिकोना, वर्गाकार स्कार्फ की भरमार है। कई तरह ही आकर्षक छाप वाले स्कार्फ ग्राहकों की बदलती रुचि के सबूत हैं। पंच सितारा होटलों की दुकानों में सिल्क, पश्मीना और फर के स्कार्फ भी बिकते हैं। बाजार में 10 रुपये से लेकर कुछ हजार तक के स्कार्फ मौजूद हैं।
डिजाइनर रीना ढाका का मानना है कि स्कार्फ दुपट्टा का विकल्प बनता जा रहा है। उन्होंने कहा, "दुपट्टा पहनना एक बाध्यता है। स्कार्फ पहनकर लड़कियां अपनी यह जरूरत पूरी करने के अलावा फैशनेबल दिखने का शौक भी पूरा कर सकती हैं।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
**