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भारतीय संघवाद महज सैद्धांतिक मसला नहीं : उपराष्ट्रपति

By Staff
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नई दिल्ली, 29 जुलाई (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने कहा है कि भारतीय संघवाद महज सैद्धांतिक मसला नहीं है। यह हमारी विविधता के प्रबंधन, हमारी जनता को अभिव्यक्ति में समर्थ बनाने और आधुनिक राष्ट्र के संचालन के लिए महत्वपूर्ण साधन के रूप में उभरा है।

आज यहां पांचवें कृष्णकांत स्मृति व्याख्यान को सम्बोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमने अपनी विशिष्ट जरूरतों के लिए संघीय मॉडल को नया रूप दिया और उसे अपनाया।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत के संविधान के निर्माता डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने हमारी राजनीतिक संरचना की प्रकृति का सही रूप में वर्णन किया है। उन्होंने कहा, यद्यपि भारत एक संघ है, यह संघ राज्यों के संघ में शामिल होने के अनुबंधों का परिणाम नहीं था। अनुबंध का परिणाम होते हुए भी, कोई भी राज्य इससे अलग होने का अधिकार नहीं रखता।

उन्होंने कहा कि यद्यपि देश और जनता को प्रशासन की सुविधा के लिए विविध राज्यों में विभाजित किया जा सकता है। लेकिन समग्र रूप में, देश एक है, इसके लोग भी एक हैं जो एक ही स्रोत से निकले हैं और एक छत के नीचे रहते हैं। इस प्रकार भारतीय संघ का सृजन नीचे से ऊपर की ओर के बजाय ऊपर से नीचे की ओर जाने वाली प्रक्रिया से हुआ है।

उन्होंने कहा कि राज्य संघीय प्रक्रिया का प्रारंभिक घटक नहीं बल्कि अंतिम उत्पाद है। इस कारण से संविधान निर्माताओं ने भारत को राज्यों के संघ के रूप में परिभाषित किया, संविधान में संघ शब्द का कहीं भी उल्लेख नहीं है।

अंसारी ने कहा कि स्वर्गीय कृष्णकांत जी को कई तरह से याद किया जा सकता है। वे भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति, राज्यसभा के पूर्व सभापति, राज्यपाल, सक्रिय सांसद और जन नेता थे।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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