रेपो दर और सीआरआर बढ़ा, ऋण महंगा होने के आसार (लीड-2)
मुंबई, 29 जुलाई (आईएएनएस)। महंगाई पर लगाम लगाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को रेपो दर और नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) में क्रमश: आधा और चौथाई फीसदी की बढ़ोतरी कर दी। बैंक के इस फैसले से व्यावसायिक बैंकों के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी का रास्ता साफ हो गया है।
व्यावसायिक बैंक जिस दर पर आरबीआई से उधार लेते हैं उस दर को रेपो दर और बैंक अपनी जमा राशि का जो निश्चित भाग आरबीआई के पास जमा कराते हैं उसे सीआरआर कहा जाता है।
इस बीच आरबीआई के इस कदम का वित्त मंत्रालय ने स्वागत किया है। मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि इससे महंगाई को नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी। बयान में कहा गया है, "सरकार मानती है कि मंगलवार को आरबीआई द्वारा उठाए गए कदम दो माह पहले उठाए गए कदम को आगे बढ़ाना है और इससे मुद्रास्फीति को नियंत्रित व कम करने में मदद मिलेगी।"
वार्षिक मौद्रिक नीति की पहली तिमाही की समीक्षा में आरबीआई ने बैंक रेपो रेट में आधा फीसदी और सीआरआर में चौथाई फीसदी की बढ़ोतरी की घोषणा की है। अब रेपो रेट साढ़े आठ फीसदी से बढ़कर नौ फीसदी और सीआरआर 25 बेसिक प्वाइंट्स बढ़कर नौ फीसदी हो गया है। आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट और बैंक दर में कोई बदलाव नहीं किया है। नई दरें 30 अगस्त से प्रभावी होंगी।
इस बढ़ोतरी से बैंकों के पास ऋण देने के लिए धन की उपलब्धता कम होगी। इस कारण वे ऋण की मांग को नियंत्रित करने के लिए ऋण पर ब्याज की दरों में बढ़ोतरी कर सकते हैं।
वित्तीय वर्ष 2008-09 की मौद्रिक नीति की पहली तिमाही की समीक्षा रिपोर्ट को जारी करते हुए आरबीआई के गवर्नर वाई. वी. रेड्डी ने चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर आठ फीसदी के आसपास रहने की संभावना जताई है। आरबीआई ने इससे पहले जीडीपी दर आठ से साढ़े आठ फीसदी के बीच रहने की संभावना व्यक्त की थी।
रेड्डी ने कहा कि वैश्विक बाजार में अस्थिरता के रुख और घरेलू बाजार के सामने व्याप्त चुनौतियों को देखते हुए तरलता प्रबंधन बैंक की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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