राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में रोजगार का बेहतरीन अवसर
नई दिल्ली, 28 जुलाई (आईएएनएस)। युवावस्था में या कम उम्र में रक्षा सेवाओं में शामिल होना भारत के लाखों युवकों का स्वप्न रहा है। रक्षा सेवाएं अनुशासन सिखाती हैं तथा युवकों का आकर्षक एवं सुदृढ़ व्यक्तित्व बनाती है, जो आगे चलकर श्रेष्ठ नागरिक बनते हैं। ड्यूटी के प्रति एकनिष्ठ तथा देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत रहते हैं।
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी वर्ष में दो बार (अप्रैल-मई, सितंबर-अक्टूबर) परीक्षाएं आयोजित करती है तथा भारतीय सेना, भारतीय नौ सेना एवं भारतीय वायुसेना- इन सभी विंग में रक्षा सेवा का अधिकारी संवर्ग यहीं से तैयार होता है। पात्रता मानदंड के अनुसार यहां अविवाहित पुरुष शामिल हो सकते हैं, जिनकी आयु आवेदन के समय साढ़े सोलह से उन्नीस वर्ष के बीच हो। उम्मीदवार ने +2 या समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण की हो। वायुसेना और नौसेना के लिए जरूरी है कि +2 पर भौतिकी तथा गणित विषय हो।
चयन प्रक्रिया दो चरणों में विभक्त है। पहले चरण में लिखित परीक्षा होती है। यह वस्तुनिष्ठ होती है तथा इसमें गणित और सामान्य अध्ययन के पेपर शामिल होते हैं। गणित के पेपर में 120 प्रश्न होते हैं, यह कुल 300 अंकों का पेपर होता है जबकि सामान्य अध्ययन के पेपर में 150 प्रश्न होते हैं, यह पेपर 600 अंकों का होता है। दोनों पेपर्स की अवधि 120 मिनट होती है।
दोनों के लिए माध्यमिक स्कूल स्तर तक की जानकारी पर्याप्त रहती है। गणित के पेपर में अंकगणित, बीजगणित, ज्यामिति और त्रिकोणमिति विषय शामिल होते हैं। समुच्चय सिद्धांत और सांख्यिकी भी होते हैं।
सामान्य अध्ययन के पेपर के दो हिस्से होते हैं। भाग 'क' में अंग्रेजी भाषा के प्रयोग और बोध से संबंधित प्रश्न होते हैं। इसमें त्रुटियों का पता लगाना, विलोम शब्द, पर्यायवाची शब्द, पैरा लिखना, वाक्य-पूर्ति तथा संक्षिप्त रूप में बोध-प्रश्न शामिल होते हैं। भाग 'ख' सामान्य ज्ञान, समसामयिक विषय, भूगोल, इतिहास, राजनीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र, भौतिकी और जीव विज्ञान विषय शामिल है। लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है।
दूसरे चरण में एस.एस.बी. द्वारा इंटरव्यू लिया जाता है। इस इंटरव्यू का लक्ष्य अधिकारी के अनुकूल गुण-संपन्न व्यक्ति का चयन करना है। एस.एस.बी. का इंटरव्यू चार दिनों तक चलता है। यह इस प्रकार से तैयार किया जाता है कि केवल उन्हीं व्यक्तियों का चयन होता है, जो बुद्धि, निष्ठा, साहस, निश्चय, उत्तम संप्रेषण कौशल, जिम्मेदारी की भावना, प्रभावी पारस्परिक कार्यकलाप, तार्किक योग्यता तथा देशभक्ति की भावना का प्रदर्शन कर पाते हैं। एस.एस.बी. ग्रुप टेस्ट तथा शारीरिक आरोग्यता परीक्षण करता है। ग्रुप टेस्ट में दो सामूहिक परिचर्चाएं होती हैं।
पहली परिचर्चा में सामूहिक विकल्प होता है, जबकि दूसरी परिचर्चा में ग्रुप टास्क अधिकारी होता है। इसके बाद संक्षिप्त भाषण/वार्ता होती है। भाषण या वार्ता का लक्ष्य यह देखना है कि उम्मीदवार किस प्रकार से अपने विचार व्यक्त करते हैं। इसके अलावा बाधा दौड़, कमांड टास्क तथा फाइनल कमांड टास्क के साथ एस.एस.बी. का कार्य पूरा होता है। अंतत: उम्मीदवार की गहन जानकारी एवं समूचे व्यक्तित्व का मापन करने के लिए इंटरव्यू लिया जाता है।
चुने गए उम्मीदवारों को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एन.डी.ए.)/नौसेना अकादमी में रखा जाता है तथा वहीं से परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्हें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से डिग्री दी जाती है।
एन.डी.ए. उत्तीर्ण करने के बाद उम्मीदवार सुदृढ़ और परिपक्व व्यक्तित्व का हो जाता है। उसे सशस्त्र सेनाओं में भरती के लिए आई.एम.ए. भेजा जाता है या वायुसेना अकादमी, हैदराबाद भेजा जाता है अथवा फ्लाइंग प्रशिक्षण के लिए बी.एफ.टी.एस., इलाहाबाद भेजा जाता है। नौ सेना के संबंध में छह मास से एक मास तक प्रशिक्षण के लिए नेवलशिप पर भेजा जाता है।
सशस्त्र सेनाओं में नौकरी के समय कई विशेष सुविधाएं मिलती हैं; जैसे - सामूहिक बीमा कवर, नि:शुल्क चिकित्सा सेवा, रियायती आवास, यात्रा रियायत, हलका भार लाने-ले जाने संबंधी तथा अन्य लाभ दिए जाते हैं। इसी कारण यह नौकरी बड़ी आकर्षक है।
सेना में तकनीकी शाखाओं के लिए पात्रता मानदंड में अविवाहित उम्मीदवार की आयु सीमा साढ़े सोलह से साढ़े उन्नीस वर्ष है। उसमें +2 या समकक्ष परीक्षा 70 प्रतिशत अंकों सहित भौतिकी, रसायन शास्त्र एवं गणित जैसे विषयों में उत्तीर्ण की हो। कद 157 सें.मी. हो तथा इसी अनुपात में वजन भी हो। नेत्र-दृष्टि सामान्य हो। चुने गए उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है। एन.डी.ए. पैटर्न पर एस.एस.बी. इंटरव्यू लेता है। प्रशिक्षण अवधि साढ़े चार वर्ष है। यह निम्नलिखित अवस्थाओं में विभाजित है -
(क) छह माह का आधारभूत प्रशिक्षण - आई.एम.ए., देहरादून।
(ख) अवस्था । -कॉलेज ऑफ मिलिट्री इंजीनियरिंग, पुणे में ढाई वर्ष का पाठ्यक्रम।
(ग) अवस्था ।। - पुणे, सिकंदराबाद तथा महू में अलग-अलग कॉलेजों में एक वर्ष का पाठ्यक्रम।
(घ) अवस्था ।।। - उपर्युक्त किसी संस्था में छह माह का पाठ्यक्रम।
प्रशिक्षण के सफल समापन पर इंजीनियरिंग डिग्री दी जाती है। इसके बाद कैडेट को तकनीकी शाखाओं में सेना में स्थायी कमीशन दिया जाता है। अर्थात् ई.एम.ई., सिग्नल्स, इंजीनियर्स।
नौसेना कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, लोनावाला, पुणे में प्रवेश के लिए पात्रता मानदंड सोलह-उन्नीस वर्ष तक की आयु एवं अविवाहित होना, जो +2 या इसके समकक्ष परीक्षा 70 प्रतिशत अंकों में भौतिकी, रसायन शास्त्र एवं गणित विषय के साथ उत्तीर्ण हो। कक्षा 10 या 11 में अंग्रेजी में कम से कम 50 प्रतिशत अंक हो हों। न्यूनतम कद 157 सें.मी. हो तथा कद के अनुपात में वजन हो। नेत्र-दृष्टि उत्कृष्ट हो।
चयन प्रक्रिया में एन.डी.ए. के समान एस.एस.बी. द्वारा इंटरव्यू लिया जाता है। चुने गए उम्मीदवार को साढ़े चार वर्ष की अवधि के प्रशिक्षण पर भेजा जाता है। इसमें छह माह तक नौ सेना अकादमी, गोवा में प्रशिक्षण दिया जाता है तथा चार वर्ष तक नौसेना कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग आई.एन.एस., शिवाजी लोनावाला में दिया जाता है। सफलतापूर्वक पाठ्यक्रम के समापन पर उम्मीदवार को बी.टेक. की डिग्री जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय द्वारा दी जाती है।
डिग्री प्राप्त करने के बाद उम्मीदवार को नौ सेना में तकनीकी अधिकारियों के रूप में कमीशन दिया जाता है। साढ़े तीन वर्ष के प्रशिक्षण के बाद कैडेट को मिडशिपमैन की पदोन्नति दी जाती है तथा छह माह की अवधि के बाद मिडशिपमैन को सब-लेफ्टिनेंट रैंक पर पदोन्नत किया जाता है।
रक्षा सेवाओं से सेवानिवृत्ति के बाद अधिकांश कर्मी कॉरपोरेट सेक्टर या बैंकों में तथा बीमा कंपनियों में अनुशासनबद्ध जीवन के कारण रख लिये जाते हैं। इसलिए यही ऐसी नौकरी है, जहां व्यक्ति अपनी इच्छानुसार समय तक कार्य करता रहता है।
(करियर संबंधी और अधिक जानकारी के लिए देखिए ग्रंथ अकादमी, नई दिल्ली से प्रकाशित ए. गांगुली और एस. भूषण की पुस्तक "अपना कैरियर स्वयं चुनें"।)
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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