डब्लूटीओ में किसानों के मुद्दे पर नहीं झुके भारत : संगठन
नई दिल्ली, 28 जुलाई (आईएएनएस)। अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन एक्शन एड ने जिनेवा में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) वार्ता के दौरान विकासशील देशों के किसानों की रक्षा के लिए भारत के कड़े रूख की सराहना करते हुए बड़े औद्योगिक देशों द्वारा भारत पर समझौते को स्वीकार करने के लिए दबाव डाले जाने की निंदा की है।
गौरतलब है कि डब्ल्यूटीओ के अध्यक्ष पास्कल लेमी ने दोहा दौर की वार्ता को बचाने के लिए शुक्रवार को अंतिम समय में एक प्रस्ताव पेश किया था। एक्शन एड के प्रवक्ता ने सोमवार को भेजे ई-मेल में कहा है कि इस प्रस्ताव से गरीब किसानों की आजीविका की रक्षा नहीं की जा सकती।
गुरुवार को वार्ता के दौरान भारतीय वाणिज्य मंत्री कमलनाथ ने कृषि के मामले पर कड़ा रूख अपनाया था। उन्होंने कहा कि वे व्यापार के मामले पर वार्ता कर सकते हैं लेकिन लेकिन गरीब किसानों की आजीविका से समझौता नहीं कर सकते।
इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश ने शुक्रवार को भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को तीन बार फोन किया, उधर औद्योगिक देशों के कई प्रतिनिधियों ने भारत को समझौता तोड़ने वाला कहकर आलोचना की। पास्कल ने कहा कि यदि वार्ताकार समझौते पर सहमत नहीं हुए, तो उनको गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ेगा।
एक्शन एड के अंतर्राष्ट्रीय निदेशक जान सैमुअल ने कहा,'ऐसे समय में भारत को अपने किसानों के साथ खड़ा रहना चाहिए। यदि उसने अमेरिका और जी-8 के देशों के सामने समर्पण कर दिया तो, यह दुनिया के लाखों किसानों के साथ विश्वासघात होगा।'
लेमी ने विकासशील देशों को कृषि उत्पादों पर शुल्क में 36 प्रतिशत और गरीब किसानों द्वारा उगाई जाने वाली फसलों पर शुल्क में 19 फीसदी की कमी किए जाने का प्रस्ताव रखा था।
एक्शन एड के व्यापार नीति प्रमुख आफताब आलम खान ने कहा कि धनी देशों और लेमी ने यह सिद्ध कर दिया है कि उनकी चिंता केवल लाखों गरीब किसानों और मजदूरों की कीमत पर अधिक से अधिक बाजार पर कब्जा करना है।
भारत में करीब 40 करोड़ गरीब किसान हैं। 1997 से 2005 के बीच 150,000 भारतीय किसान आत्महत्या करने पर विवश हो चुके हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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