देशी तकनीक से बने थे अहमदाबाद के बम
सीएनजी बसों में और साइकिल कैरियरों पर रखे गए इन बमों से काफी अधिक जनहानि हुई। इन बमों में चीन निर्मित छह वोल्ट की बैटरी और एक टाइमर लगाया गया था।
स्थानीय तकनीक के उपयोग के प्रमाण गैलेक्सी सिनेमा, नरोदा और सिविल अस्पताल से एकत्र किए गए बाल बेयरिंग और छर्रो से मिले हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अस्पताल में बम विस्फोट का उद्देश्य मनोवैज्ञानिक भय उत्पन्न करना था कि कोई भी सुरक्षित नहीं है।
सारंगपुर और रायपुर चौक पर भी हुए बम विस्फाटों में इसी तकनीक का उपयोग किया गया। यहां रखे गए बम भी प्लास्टिक के थैले में साइकिल कैरियरों पर रस्सी से बांध कर रखे गए थे। इन बमों को पान और सब्जी की दुकानों के नजदीक रख गया था। इन स्थानों पर अधिकांशत: आम आदमी एकत्र रहते हैं।
पुलिस का कहना है कि कुछ स्थानीय लोगों ने इस घटना को अंजाम देने वाले व्यक्तियों का साथ दिया है। स्थानीय लोगों ने ही बमों के निर्माण और उनको विभिन्न स्थानों पर रखने का कार्य किया है।