इतिहास में दर्ज हो गई कोलंबो में भारत की हार
नई दिल्ली, 27 जुलाई (आईएएनएस)। कोलंबो टेस्ट मैच में भारतीय क्रिकेट टीम की करारी शिकस्त रिकार्ड बुक में दर्ज हो गई। अपने जादुई स्पिनरों के दम पर श्रीलंका ने भारत को उसके टेस्ट इतिहास की तीसरी सबसे बड़ी हार झेलने पर मजबूर कर दिया।
कोलंबो टेस्ट से पहले भारतीय टीम को 35 बार पारी की हार मिली थी, लेकिन शनिवार की हार इस फेहरिस्त में तीसरी सबसे बड़ी है। 50 वर्ष पहले 31 दिसंबर 1958 को वेस्टइंडीज ने कोलकाता टेस्ट मैच में भारत को एक पारी और 336 रन से रौंद दिया था। यह भारत के टेस्ट इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी हार थी। भारत को दूसरी सबसे बड़ी हार 20 जून 1974 को मिली थी, जब इंग्लैंड ने उसे लार्ड्स टेस्ट मैच में एक पारी और 285 रन से हराया था।
भारत ने अपनी दोनों पारियों में 707 गेंदों का सामना किया। पहली पारी में भारत ने 223 रन बनाए थे, जबकि दूसरी पारी में वह महज 138 रन बना सका। पिछली 135 टेस्ट पराजयों पर ध्यान दें तो भारत ने इससे पहले केवल 14 बार दोनों पारियों में इससे कम गेंदों का सामना किया था। 17 जुलाई 1952 में मैनचेस्टर में खेले गए टेस्ट मैच में भारतीय टीम इंग्लैंड के खिलाफ केवल 349 गेंदों का सामना कर सकी थी।
श्रीलंका ने दूसरी बार भारत के खिलाफ टेस्ट मैचों में पारी की जीत दर्ज की। श्रीलंका के खिलाफ भारत की यह सबसे बड़ी टेस्ट पराजय है। पहली बार श्रीलंका ने 29 अगस्त 2001 को सिंहली क्रिकेट क्लब मैदान पर ही भारत को एक पारी और 77 रनों से पराजित किया था। अहम बात यह है कि उस मैच में भी मुरली ही भारत की हार का कारण बने थे। मुरली ने उस मैच में 11 विकेट लिए थे।
मुरली ने भारत के खिलाफ दूसरी बार एक मैच में 10 विकेट हासिल किए और दोनों ही मौकों पर उनकी टीम पारी से जीती। मुरली सिंहली स्पोर्ट्स क्लब मैदान पर बेहद सफल रहे हैं। उन्होंने इस मैदान पर 23 टेस्ट मैचों में अब तक 160 विकेट चटकाए हैं।
मुरली ने भारत के सबसे सफल टेस्ट बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को 13 टेस्ट मैचों में सातवीं बार आउट किया। मुरली के अलावा और कोई गेंदबाज सचिन को इतनी बार पवेलियन नहीं लौटा सका है। आस्ट्रेलिया के जेसन गिलेस्पी और ग्लेन मैक्ग्रा ने सचिन को छह-छह बार आउट किया था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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