बिना अपराध मिली दो साल की सजा
पुलिस
ने
केवल
जाति
विशेष
के
नाम
पर
उन
छह
ग्रामीणों
को
उठाया
और
उन
पर
फर्जी
मुकदमें
लगाये।
जब
मामला
सिद्ध
नहीं
हुआ
तो
पुलिस
ने
अदालत
को
यह
लिखकर
दे
दिया
कि
इन
ग्रामीणों
को
छोड़
दें।
इनके
खिलाफ
कोई
सबूत
पुलिस
नहीं
जुटा
पायी
है।
इस
घटना
में
भले
ही
ग्रामीणों
में
खुशी
की
लहर
दिख
रही
हो,
लेकिन
इसमें
पुलिस
के
कारनामों
का
कच्चा
चिठ्ठा
खोल
दिया
है।
यह
मामला
जुड़ा
है
श्वेता-गायत्री
हत्याकाण्ड
से।
यहां
के
देवीगंज
इलाके
में
श्वेता
और
गायत्री
श्वेता
और
गायत्री
नामक
महिलाओं
की
बलात्कार
के
बाद
हत्या
कर
दी
गई
थी।
मामले
के
खौफनाक
अंदाज
ने
पुरे
ईलाके
में
सनसनी
फैला
दी
थी।
हादसे
वाली
जगह
को
लुट
की
शक्ल
देने
की
कोशिश
की
गई
थी।
जिसे
बाद
में
परिजनों
ने
यह
कहते
हुए
नकार
दिया
था
कि,
घर
से
कोई
भी
चीज
चोरी
नही
हुई
है।
हालांकि
पुलिस
ने
नाकामी
और
राजनैतिक
दबाव
के
आरोपों
के
बीच
सात
ग्रामीणों
को
पकड
यह
जानकारी
दी
कि,
आरोपी
ग्रामीण
उस
बादी
जनजाति
समुदाय
के
है
जिन्हे
अपराध
के
लिए
जाना
जाता
है।
लेकिन
पुलिस
के
इस
दावे
पर
शोकाकुल
परिजनों
ने
अविश्वास
जताते
हुए
पुलिस
की
पूरी
कहानी
को
फर्जी
करार
दे
दिया
था।
पुलिस
ने
बिना
किसी
सबूत
के
इन
ग्रामीणों
पर
हत्या
डकैती
के
मामलों
में
जेल
में
बंद
किया
उसी
पुलिस
ने
अदालत
को
लिख
कर
दिया
कि
उनके
पास
कोई
सबुत
ही
नही
है।
इंसाफ
की
तलाश
तो
उस
बुजुर्ग
पिता
को
भी
है
जिसकी
बिटिया
को
अनजान
नराधमों
ने
लाश
में
तब्दील
कर
दिया।
श्वेता
सिंह
के
पिता
टुन्नू
सिंह
को
पुलिस
के
इस
अदालती
हलफनामे
ने
स्तब्ध
कर
दिया
है।
शदहशतजदा
परिवार
ने
अपनी
सबसे
होनहार
बिटिया
को
याद
कर
रोते
पिता
को
अब
भी
इंसाफ
की
तलाश
में
है।
श्वेता-गायत्री
हत्याकाण
पर
मामले
पर
पुलिस
महानिरीक्षक,
सरगुजा
रेंज,
बीएस
मराबी
का
कहना
है
कि
मामले
की
फाईल
पीएचक्यू
भेजी
जा
रही
है।
जहां
से
आगे
की
कार्यवाही
तय
होगी,
पुलिस
के
वे
अधिकारी
जिन्होने
मामले
की
विवेचना
की
उन्होने
विवेचना
में
क्यों
त्रुटि
की
इसकी
जांच
की
जा
रही
है
दोषी
पाए
जाने
पर
कार्यवाही
होगी।