अधिकांश मौकों पर विश्वास मत जीता है सरकारों ने
नई दिल्ली, 23 जुलाई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के विश्वास मत हासिल करने के बाद अधिकांश मौकों पर सरकारों के जीत हासिल करने की परंपरा बनी रही।
सन 1979 में पहली बार मोरारजी देसाई की सरकार संख्या बल में कम हुई और उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद चरण सिंह कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने लेकिन उन्होंने भी संख्याबल कम होने के कारण इस्तीफा दे दिया।
अगला विश्वास प्रस्ताव सदन में ठीक एक दशक बाद रखा गया जब दिसंबर 1989 में विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री बने और उन्होंने विश्वास प्रस्ताव में जीत हासिल की लेकिन 11 महीने बाद ही उनकी सरकार मंडल मुद्दे पर गिर गई।
वी.पी. सिंह के बाद प्रधानमंत्री बने चंद्रशेखर ने नवंबर 1990 में विश्वास मत हासिल किया। उन्होंने भी पांच महीने बाद कांग्रेस के समर्थन वापस लेने पर त्यागपत्र दे दिया।
जुलाई 1991 में पी.वी. नरसिम्हाराव ने विश्वास मत हासिल किया और उनकी सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया।
सन 1996 में एच. डी. देवगौड़ा ने विश्वास मत हासिल किया लेकिन अप्रैल 1997 में कांग्रेस के समर्थन वापस लेने से उनकी सरकार गिर गई। उनके बाद प्रधानमंत्री बने इंद्र कुमार गुजराल ने अप्रैल 1997 में विश्वास मत हासिल किया। उन्होंने भी नवंबर में बहुमत का समर्थन खो देने के बाद अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।
अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने 1996 में विश्वास मत रखा लेकिन मतदान के पहले ही उन्होंने अपना त्यागपत्र दे दिया हालांकि वे 1998 में दूसरे मौके पर विश्वास मत पर जीत हासिल करने में कामयाब रहे।
मंगलवार को हुए मतदान में हासिल कर लिया लेकिन इस अवसर पर मनमोहन पहले ऐसे प्रधानमंत्री बन गए जिसने विश्वास मत पर मतदान नहीं किया क्योंकि वह लोकसभा के सदस्य नहीं हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।