कोलकाता में एजेंसी कर रही है
श्रेया बसु
श्रेया बसु
कोलकाता , 23 जुलाई (आईएएनएस)। कोलकाता में दुधमुंहे बच्चों के जरिए भीख मंगवाई जा रही है और बाकायदा एक एजेंसी भिखारियों को ऐसे बच्चे उपलब्ध करा रही है।
'पथशिशु' नामक यह एजेंसी पिछले पांच साल से बिना रोकटोक यह काम कर रही है। एजेंसी रोज सुबह भिखारियों को बच्चे किराए पर देती है और शाम के समय उन बच्चों को अभिभावकों को लौटा देती है। इस सबकी एवज में शुल्क वसूला जाता है।
एजेंसी के संचालकों इस बात का बिल्कुल अहसास नहीं होता कि वह दुधमुंहे बच्चों भीख के धंधे में ढकेल रही है या फिर बाल श्रम करवा रही है।
एजेंसी के मालिक मोंटू पाल ने कहा कि पश्चिम बंगाल के ग्रमीण इलाकों गरीब मां-बाप अधिक बच्चों के कारण उनका पालन-पोषण नहीं कर पाते । ग्रामीण इलाकों में हर परिवार में औसतन छह बच्चे हैं। ऐसे में वे अपने बच्चों को भेजते हैं और हम उनको शहर के भिखारियों में बांट देते हैं।
भिखारी दिन भर इन बच्चों के साथ भीख मांगते हैं और शाम को बच्चों को वापस कर देते हैं।
अधिकांश बच्चे पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों पांसकुरा, उलबेरिया और अंदुल से आते हैं। सर्वाधिक मांग एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों की है। इनके अभिभावकों को प्रतिदिन 100 रुपये के हिसाब से भुगतान किया जाता है। दो से पांच वर्ष के बच्चों को रोज 50 रुपये दिए जाते हैं।
एजेंसी मासिक और दैनिक दोनों तरीकों से काम करती है। एजेंसी ने 1,000 परिवारों और 2,000 से अधिक भिखारियों के साथ मासिक करार किया है।
मासिक अनुबंध वाले भिखारी और अभिभावक अपनी रोजाना की आमदनी का 30 प्रतिशत और दैनिक आधार वाले अभिभावक और भिखारी आमदनी का 20 फीसदी हिस्सा एजेंसी को कमीशन के रूप में देते हैं।
पाल ने बताया कि सभी अभिभावक सुबह चार बच्चे तक बच्चों को लेकर सियालदह, गरिया और सोनपुर स्टेशन पर आ जाते हैं। एजेंसी के लोग दोनों पक्षों का विवरण लेकर बच्चों को देते हैं। शाम पांच बजे के करीब बच्चों को उनके मां बाप को लौटा दिया जाता है।
सियालदह स्टेशन के रेलवे पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि उन्होंेने ऐसी एजेंसी के बारे में अवश्य सुना है, लेकिन उनके साामने कभी ऐसा मामला नहीं आया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।