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रिश्वत की पेशगी लेने वाले कुलस्ते और अर्गल चौथी बार हैं सांसद

By Staff
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भोपाल, 22 जुलाई (आईएएनएस)। लोकसभा में विश्वास प्रस्ताव पर होने वाले मतदान के दौरान सदन से अनुपस्थित रहने के एवज में कथित तौर पर एक करोड़ रुपये की पेशगी लेकर खरीद-फरोख्त का खुलासा करने वाले तीन में से दो सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते और अशोक अर्गल मध्यप्रदेश से ताल्लुकात रखते हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नाता रखने वाले इन दोनों सांसदों में एक समानता है कि दोनों ही चौथी दफा लोकसभा के सदस्य हैं।

भोपाल, 22 जुलाई (आईएएनएस)। लोकसभा में विश्वास प्रस्ताव पर होने वाले मतदान के दौरान सदन से अनुपस्थित रहने के एवज में कथित तौर पर एक करोड़ रुपये की पेशगी लेकर खरीद-फरोख्त का खुलासा करने वाले तीन में से दो सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते और अशोक अर्गल मध्यप्रदेश से ताल्लुकात रखते हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नाता रखने वाले इन दोनों सांसदों में एक समानता है कि दोनों ही चौथी दफा लोकसभा के सदस्य हैं।

मंडला से लोकसभा के सदस्य फग्गन सिंह कुलस्ते ने अपनी राजनैतिक पारी की शुरूआत 1990 में मध्यप्रदेश की विधान सभा से की थी। कुलस्ते ने 1996 में लोकसभा का पहला चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। उसके बाद उन्होंने 1998, 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में भी अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखा। 1999 में वे संसदीय कार्य राज्य मंत्री और आदिवासी कल्याण राज्य मंत्री भी बने। विधि से स्नातक कुलस्ते आदिवासियों के नेता हैं और उनकी किसान तथा सामाजिक कार्यकर्ता की क्षेत्र में पहचान भी हैं।

कुलस्ते 1990 में विधायक बनने के बाद योजना आयोग के सदस्य और संसदीय सचिव भी बनाए गए। इसके अलावा 1996 में केन्द्र की अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति कल्याण समिति के सदस्य बने। कुलस्ते पर पूर्व में सांसद निधि स्वीकृत करने के एवज में घूस लेने का भी आरोप लग चुका है।

अशोक अर्गल चौथी बार भाजपा के टिकट पर लोकसभा में पहुंचे हैं। हाई स्कूल तक शिक्षा अर्जित करने वाले अर्गल का मुख्य कारोबार खेती रहा है। उन्होंने अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत 1990 में भारतीय जनता युवा मोर्चा से की थी। लोकसभा का पहला चुनाव उन्होंने 1996 में जीता था। उसके बाद 1998, 1999 और 2004 के चुनाव में भी उन्होंने जीत दर्ज की। 1996 में अर्गल को पेट्रोलियम और रसायन समिति का सदस्य बनाया गया और वे इसी दौरान मध्य रेलवे बोर्ड के सदस्य भी बनाए गए। बाद में उन्हें पुन: पेट्रोलियम और रसायन के अतिरिक्त श्रम व कल्याण समिति का सदस्य बनाया गया।

यह दोनों वही सांसद हैं, जिन्हें लोकसभा से मंगलवार को विश्वास प्रस्ताव पर होने वाले मतदान के दौरान गैर हाजिर रहने के एवज में कथित तौर पर तीन-तीन करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव रखा गया था। इतना ही नहीं इन्हें एक एक करोड़ रुपए बतौर पेशगी भी मिल गई थी। इन सांसदों ने पेशगी में मिली राशि संसद के पटल पर रखकर हंगामा खड़ा कर दिया।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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