लिट्टे की युद्धविराम की पेशकश श्रीलंका ने ठुकराई (लीड-1)
कोलंबो, 22 जुलाई (आईएएनएस)। 'लिबरेशन टाइगर्स आफ तमिल ईलम' (लिट्टे) की 10 दिवसीय युद्धविराम पेशकश को श्रीलंकाई सरकार ने झांसा करार देते हुए ठुकरा दिया है।
लिट्टे ने यह पेशकश देश में 26 जुलाई से चार अगस्त तक होने वाली दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के सदस्य देशों की शिखर वार्ता के संबंध में की थी। लिट्टे ने सोमवार शाम कहा था कि वह इस वार्ता के दौरान सद्भावना पूर्ण माहौल बनाए रखना चाहते हैं।
श्रीलंका के रक्षा प्रवक्ता केहलिया रामबुकवेला ने कहा कि लिट्टे का युद्धविराम प्रस्ताव केवल सरकारी सेनाओं के खिलाफ अपनी शक्ति को फिर से जुटाने के लिए समय हासिल करने की चाल है।
उन्होंेने कहा कि उनकी सरकार लिट्टे के हथियार डाल देने के बाद ही युद्धविराम के किसी प्रस्ताव को स्वीकार करेगी।
लिट्टे ने अपने बयान में कहा था कि वह हमेशा से पड़ोसी देशों के साथ मित्रता को बढ़ावा देने का पक्षधर रहा है। लेकिन उसने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने उसके प्रस्ताव को ठुकरा कर सैनिक कार्रवाई की, तो वह भी उसका जवाब देगा।
लिट्टे की राजनीतिक शाखा द्वारा सोमवार रात मीडिया को भेजे गए एक ई-मेल में कहा गया है कि यदि इस दौरान सरकार ने कोई सैनिक कार्रवाई की, तो वे भी उसका जवाब देने के लिए बाध्य हो जाएंगे।
लिट्टे के बयान में इस बात पर जोर दिया गया है कि संगठन इस क्षेत्र के देशों के बीच मित्रता बढ़ाने के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए हमेशा प्रयासरत रहा है।
लिट्टे ने अपने बयान में सार्क सम्मेलन की सफलता की कामना करते हुए भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और मालदीव को अपना समर्थन दिया है।
बयान में श्रीलंका की मौजूदा सरकार पर आरोप लगाया गया है कि वह तमिल जनता के राष्ट्रीय समस्या के सवाल को हल करने की दिशा में प्रयास नहीं कर रही है। लिट्टे ने कहा कि श्रीलंका की राजनीति आज एक विनाशकारी युद्ध में फंस गई है।
गौरतलब है कि लिट्टे द्वारा एकतरफा युद्धविराम का प्रस्ताव ऐसे समय आया है, जब सरकार ने दावा किया है कि उसने मन्नार जिले में विद्रहियों के कब्जे वाले और इलाकों पर अधिकार कर लिया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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