लोकसभा में विश्वासमत प्रस्ताव पेश, बहस शुरू
इस मौके पर प्रधानमंत्री, जो लोकसभा के सदस्य नहीं हैं, ने सदन में विश्वास मत का प्रस्ताव पेश किया। विश्वास प्रस्ताव रखते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि देश की जनता उनकी सरकार द्वारा किए गए कार्यों को समझेगी.
उन्होंने क़रीब सात मिनट के भाषण में कहा कि पूर्व में भी कई सरकारों को विश्वास मत हासिल करना पड़ा है और पहले तो कई सरकारों को सत्ता में आने के दो तीन महीने में ही ऐसा करना पड़ा लेकिन यूपीए सरकार के लिए चार साल के बाद यह मौका आया है.
उल्लेखनीय है कि वाम दलों ने अमरीका के साथ परमाणु समझौते के मुद्दे पर सरकार से समर्थन वापस लिया है. इस संबंध में प्रधानमंत्री का कहना था कि उन्हें समर्थन वापसी की जानकारी तब मिली जब वो ग्रुप 8 की बैठक में थे.
उन्होंने कहा, ' इस स्थिति से बचा जा सकता था. हम अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी से बात कर रहे थे. अगर ये बातचीत आगे बढ़ने दी जाती तो मैं खुद ही संसद के पास आता और परमाणु समझौते को आगे बढ़ाने के बारे में सांसदों से दिशा निर्देश लेता कि इसमें आगे कैसे बढ़ा जाए. '
प्रधानमंत्री का कहना था कि वाम दलों ने ऐसे समय में समर्थन वापस लिया जब देश मंहगाई जैसे मुद्दे से जूझ रहा था और सरकार आम लोगों को राहत दिलाने की कोशिश में लगी थी.
सदन
में
संयुक्त
प्रगतिशील
गठबंधन
(संप्रग)
सरकार
को
विश्वास
मत
जीतने
के
लिए
271
सांसदों
के
समर्थन
की
जरूरत
हैं।
विश्वास
मत
प्रस्ताव
पर
मतदान
मंगलवार
को
होगा।