विश्वास प्रस्ताव : प्रधानमंत्री को जीत का भरोसा तो विपक्ष ने भी ठोंकी ताल (राउंडअप)
नई दिल्ली, 21 जुलाई (आईएएनएस)। चार साल पहले प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद अब तक की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहे मनमोहन सिंह को पूरा भरोसा है कि मंगलवार को लोकसभा में विश्वास प्रस्ताव पर होने वाले मतदान में वे विजयी होकर निकलेंगे।
संसद भवन से बाहर निकलते वक्त पत्रकारों से बातचीत में प्रधानमंत्री ने कहा, "हमें सौ फीसदी भरोसा है कि मंगलवार को होने वाले शक्ति परीक्षण में हमारी जीत होगी।"
इससे पहले, लोकसभा में अपने संक्षिप्त भाषण के दौरान उन्होंने जीत हासिल करने का भरोसा सिखों के दसवें गुरू गोबिंद सिंह के शब्दों में व्यक्त किया।
उन्होंने कहा, "देह शिवा वर मोहे है शुभ कर्मन ते कबहुं ना डरूं, ना डरूं इरसोह जब चाहे लड़ूं, निश्चय कर अपनी जीत करूं (ईश्वर के आशीर्वाद से मैं अच्छे काम करने से कभी पीछे नहीं हटूं, मैं उनके लिए लड़ूं और निश्चित जीत हासिल करूं)।"
उन्होंने कहा कि लोकसभा में पेश किए विश्वास प्रस्ताव को टाला जा सकता था, क्योंकि भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते के क्रियान्वयन से पहले इस पर संसद की मुहर लगाने का उन्होंने वादा किया था। वाम दलों समेत अन्य सभी राजनीतिक दलों को मैने लगातार आश्वासन दिया था कि करार को क्रियान्वित करने से पहले इस पर संसद की मंजूरी ली जाएगी।"
उन्होंने कहा, "मुझे दु:ख है कि लोकसभा में यह विश्वास प्रस्ताव उस वक्त आया है, जब हमारा ध्यान अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की ओर केंद्रित है, खासकर महंगाई पर लगाम कसने और लोकहित की योजनाओं को अमली जामा पहनाने पर।"
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के दो वरिष्ठ नेताओं पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु और पूर्व माकपा महासचिव हरकिशन सिंह सुरजीत की जमकर तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री ने दोनों को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) का मुख्य शिल्पकार बताया।
विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) न तो अमेरिका के साथ रणनीतिक संबंधों के और न ही परमाणु ऊर्जा के खिलाफ है।
उन्होंने कहा, "हम परमाणु ऊर्जा के खिलाफ नहीं है। हम अमेरिका के साथ करीबी संबंधों के भी खिलाफ नहीं हैं। इस मुद्दे पर मेरा कम्युनिस्टों से अलग मत हो सकता है। लेकिन हम अमेरिका के साथ उस समझौते का हिस्सा नहीं बनेंगे, जो गैर बराबरी पर आधारित हो।"
इसी बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया व उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने कहा है, "कल तक इंतजार कीजिए, आपको जानकारी मिल जाएगी। आपको पता चल जाएगा किसकी जीत और किसकी हार होगी।"
राजधानी में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा, "प्रधानमंत्री इस करार को प्रतिष्ठा से जोड़कर नहीं देखें तो बेहतर है। उन्हें कुछ समय के लिए इस करार को लंबित रखना चाहिए। आम चुनाव होने में कम ही समय बचा है। इसलिए इस करार को अगली सरकार के ऊपर छोड़ देना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि परमाणु करार के कारण भारत-ईरान गैस पाइप लाइन परियोजना अनावश्यक रूप से प्रभावित होगी। उन्होंने कहा, "अमेरिका और ईरान के बीच यदि परमाणु युद्ध हो गया तो पूरे विश्व को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। सरकार यदि परमाणु करार संपन्न करती है तो परमाणु युद्ध की तोहमत केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) पर लगेगी।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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