'बड़ी उपलब्धि के लिए जोखिम ज़रुरी'
राहुल गांधी का मानना है कि भले ही 22 जुलाई को पेश होने वाले विश्वास मत के दौरान संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की हार हो जाए लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का यह कदम देश हित में है।
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री के इस कदम की तुलना अपने पिता स्वर्गीय राजीव गांधी द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी की दिशा में उठाए गए उन कदमों से की जिनका उस वक्त पुरजोर विरोध किया गया था।
इसके साथ ही राहुल ने यह भी दावा किया कि लोकसभा में विभिन्न दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले सभी युवा सांसद परमाणु करार को देशहित में मानते हैं।
उन्होंने कहा, "सभी युवा सांसद चाहे वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ही क्यों न हों, करार का समर्थन करते हैं। मुझे एक भी ऐसा युवा सांसद नहीं मिला जो परमाणु करार के विरोध में हो।"
राहुल की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने कहा, "राहुल को दिन में सपने देखना छोड़ देना चाहिए। हम उन्हें सुझाव देंगे कि वे बचकाना व्यवहार करना छोड़ दें।"
रूडी ने कहा कि बेकार के दावे करने के बजाए राहुल को चाहिए कि वे उन युवा सांसदों के नाम सामने लाएं जो करार के पक्ष में हैं।
राहुल ने कहा, "करार के मामले में मैं सौ फीसदी प्रधानमंत्री के साथ खड़ा हूं। यदि देशहित में वे कोई कदम उठा रहे हैं, तो ऐसे में आंकड़ों का कोई मतलब नहीं होता। उनकी सरकार विश्वास मत हासिल करने में असफल रहती है, तो रहने दीजिए।"उन्होंने कहा कि कोई बड़ी उपलब्धि पाने के लिए कभी-कभी सरकार को जोखिम भी उठाना पड़ता है।
परमाणु करार पर डा. मनमोहन सिंह के रुख पर कांग्रेस में उभरे विरोध के स्वर के सवाल पर गांधी ने कहा, "पार्टी के वरिष्ठ नेता इस बात से सहमत हैं कि प्रधानमंत्री ने यदि कोई फैसला किया है तो निश्चित तौर पर वह सही होगा।"