कभी मंगल पर भी थे झील, नदियां व झरने
वैज्ञानिक ने यह निष्कर्ष मंगल के लिए 'कॉम्पैक्ट रिकॉनैसैन्स इमैजिंग स्पेक्ट्रोमीटर' (सीआरआईएसएम) और नासा के 'मार्स रिकॉनैसैन्स ऑरबिटर' (एमआरओ) के दो उपकरणों से प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण के बाद निकाला है।
अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान जर्नल 'नेचर' में प्रकाशित एक अध्ययन में के मुताबिक मंगल के प्राचीन पहाड़ी क्षेत्र कच्चे खनिज पदार्थो से भरे पड़े हैं और ये खनिज पदार्थ पानी के अभाव में तैयार नहीं हो सकते थे। मंगल का करीब आधा क्षेत्र पहाड़ी है।
वैज्ञानिकों ने इन कच्चे खनिज पदार्थो को 'फिलॉसिलिकेट्स' नाम दिया है जो करीब 4.6 अरब से 3.8 अरब साल पहले बने होंगे।
सीआरआईएसएम उपकरण बनाने वाले वैज्ञानिकों के हवाले से कहा गया है कि पृथ्वी पर उस वक्त की चट्टानों करीब-करीब नष्ट किया जा चुका है, लेकिन मंगल पर फिलौसिलिकेट की मौजूदगी वाली चट्टाने वहां पर पानी के होने की संभावना को प्रबल करती हैं और इससे वहां पर जीवन के संकेत मिलते हैं।
इसके
अलावा
एक
और
अध्ययन
के
मुताबिक
मंगल
पर
हजारों
सालों
तक
पानी
मौजूद
रहा
होगा,
तभी
वहां
पर
कच्चे
खनिज
पदार्थ
तैयार
हुए
होंगे।