उत्तरप्रदेश के ग्रामीण छात्र सीखेंगे जड़ी-बूटियों के औषधीय गुण
लखनऊ, 16 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तरप्रदेश के ग्रामीण इलाकों के छात्र जल्दी ही जड़ी-बूटियों और उनके औषधीय गुणों से जुड़ी जानकारी पाठ्यक्रम के माध्यम से लेना शुरू करने वाले हैं।
लखनऊ, 16 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तरप्रदेश के ग्रामीण इलाकों के छात्र जल्दी ही जड़ी-बूटियों और उनके औषधीय गुणों से जुड़ी जानकारी पाठ्यक्रम के माध्यम से लेना शुरू करने वाले हैं।
लखनऊ की दो विज्ञान संस्थाएं, नेशनल बाटनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनबीआरआई) और सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई) के संयुक्त उपक्रम द्वारा चलाए जाने वाले इस शैक्षिक कार्यक्रम के अंतर्गत स्कूली छात्रों को जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक उपचारों से जुड़ी जानकारियां दी जाएंगी।
एनबीआरआई के फार्माकोग्नोजी एंड एथनोफार्माकोलोजी विभाग के प्रमुख ए. के. एस. रावत ने आईएएनएस से कहा, "'होलिस्टिक हेल्थ एजुकेशन प्रोग्राम' के तहत ग्रामीण छात्रों को वर्षो से प्रयोग की जा रही जड़ी-बूटियों की महत्ता के बारे में बताएंगे।"
उन्होंने कहा, "इस पाठ्यक्रम को चलाने का मुख्य उद्देश्य युवाओं के बीच उसे लोकप्रिय बनाना, इस ज्ञान को संजोए रखना और औषधीय पौधों से जुड़े पारंपरिक ज्ञान को इस्तेमाल में लाना है।"
एचएचईपी के अंतर्गत जड़ी-बूटियों को स्कूल के ही बागीचे में लगाया जाएगा, ताकि छात्र जल्दी और आसानी से इनके औषधीय गुणों के बारे में जान पाएं। इस बगीचे में बड़ी संख्या में आम और खास जड़ी बूटियों को जगह दी जाएगी।
वैज्ञानिकों के अनुसार एनबीआरआई के निदेशक राकेश तुली द्वारा सहायता प्राप्त एचएचईपी के लांच की सारी तैयारियां दोनों संस्थाओं द्वारा पूरी कर ली गई हैं। इस महीने के अंत तक इसके कारगर होने की आशा की जा रही है।
प्रारंभ में एचएचईपी उत्तर प्रदेश के कुछ चुने हुए गांवों में इसे शुरू करेगी। इनमें सुल्तानपुर, बाराबंकी और लखनऊ जिलों के क्रमश: मुसाफिरखाना, मसौली और मलीहाबाद स्थित स्कूल होंगे।
एनबीआरआई के वैज्ञानिक के अनुसार ग्रामीण इलाकों में इलाज की सुविधा तुलनात्मक रूप से कम है। यही कारण है कि हमने इस कार्यक्रम को ग्रामीण स्कूली छात्रों के पाठ्यक्रम में शामिल करना बेहतर समझा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।