जल्द होगी मुशर्रफ से शरीफ की मुलाकात
एक दूसरे के धुर विरोधी माने जाने वाले इन नेताओं की मुलाक़ात के पीछे अंतर्राष्ट्रीय दबाव माना जा रहा है। हालांकि पीएमएल-एन मुशर्रफ के साथ किसी भी तरह के संपर्क की बात झुठलाती रही है।
अक्टूबर 1999 में मुशर्रफ ने शरीफ की निर्वाचित सरकार का तख्ता पलट कर उनके पूरे परिवार को जबरन निर्वासित कर सऊदी अरब भेज दिया था।
शरीफ सऊदी अरब के शासक अब्दुल्ला की मदद से पिछले साल चुनावों से पहले पाकिस्तान लौटने में कामयाब रहे और उनकी पार्टी इनमें दूसरा बड़ा राजनीतिक दल बनकर उभरी। उनकी पार्टी इस समय पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और अन्य पार्टियों की गठबंधन सहयोगी है।
सूत्र ने बताया कि शरीफ पर इस समय सऊदी अरब और अन्य देशों की सरकारों की ओर से मुशर्रफ के साथ कामकाजी संबंध बनाने के लिए दबाव पड़ रहा है। ऐसा नहीं करने की सूरत में हो सकता है कि शरीफ अलग-थलग पड़ जाएं और पंजाब सूबे में उनके भाई की सरकार खतरे में पड़ जाए।
उधर मुशर्रफ ने आतंकवाद और बढ़ती कीमतों की चुनौतियों से निपटने के लिए पीएमएल-एन समेत सभी प्रमुख राजनीतिक दलों को एकजुट करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। सूत्र के अनुसार, राष्ट्रपति और पीएमएल-एन दोनों ने ही तीसरे पक्ष की मदद से संपर्क साधने की कोशिश की है, लेकिन अभी तक इसका कोई नतीजा नहीं निकला है और शरीफ पर देश के भीतर और अन्य देशों से दबाव पड़ रहा है कि वह आतंकवाद के खात्मे और महंगाई पर काबू पाने के लिए मुशर्रफ के साथ मिलकर काम करें।
मुशर्रफ
ने
इस
महीने
के
आरंभ
में
कहा
था
कि
शरीफ
के
साथ
बातचीत
के
लिए
उनके
दरवाजे
खुले
हैं
और
व्यापक
राष्ट्रीय
हित
में
वह
उनसे
बातचीत
को
राजी
हैं,
लेकिन
इसके
तत्काल
बाद
शरीफ
ने
कहा
था
कि
वह
एक
गैर-कानूनी
राष्ट्रपति
हैं
और
उनकी
पार्टी
मुशर्रफ
से
बातचीत
नहीं
करेगी।