झारखंड के मंत्रियों पर छाया डर का साया
इसके पहले पिछले साल मार्च में जमशेदपुर से झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद सुनील महतो की नक्सलियों ने फुटबाल मैच देखते समय हत्या कर दी थी। मुंडा की हत्या एक स्कूल में पुरस्कार वितरण समारोह में भाग लेने के दौरान की गई। इन दो हत्याओं ने राज्य कि विधायकों और मंत्रियों को हिलाकर रख दिया है।
राज्य के भूमि और राजस्व मंत्री दुलाल भुइया ने कहा कि उनकी सुरक्षा के लिए तैनात वाहन दशकों पुराना है। इसमें कई बार मरम्मत और सुधार हो चुका है। उनके चुनाव क्षेत्र के दौरे के समय यह कई बार खराब भी हो चुका है। भुइया का कहना है कि मंत्री होने के नाते सरकार को उनकी सुरक्षा का प्रबंध करना चाहिए।
एक अन्य मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई गई सुरक्षा भरोसेमंद नहीं है। सुरक्षा में तैनात जवानों को जब साहस दिखाना होता है, उस समय वह हमको छोड़ कर भाग जाते हैं। उन्होंने कहा कि वह इस मामले को राज्य के पुलिस प्रमुख के सामने उठाएंगे।
राज्य में राजनेता माओवादियों के आसान शिकार बन गए हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी लेनिनवादी के विधायक महेंद्र सिंह की जनवरी 2005 में नक्सलवादियों ने हत्या कर दी थी।
नक्सलवादी पूर्व गृहमंत्री सुदेश महतो और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की हत्या के असफल प्रयास कर चुके हैं। राज्य के मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा तथा बाबूलाल मरांडी सहित दस से ज्यादा नेता नक्सलियों के निशाने पर हैं।
राज्य के अधिकांश विधायक नक्सल प्रभावित इलाकों से चुन कर आते हैं। एक पूर्व मंत्री तथा विधायक ने बताया कि उनके सामने ऐसी स्थिति आ गई है कि या तो वह राजनीति छोड़ दें या फिर नक्सलियों की गोलियों का सामना करने के लिए तैयार रहें।
पुलिस के अनुसार पिछले सात वर्षो में राजनीतिक दलों के करीब 30 सक्रिय कार्यकताओं की हत्या हो चुकी है। इनमें से अधिकांश भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के सदस्य थे। अधिकारियों के अनुसार पिछले सात वर्षो में 320 सुरक्षा कर्मचारियों को मिलाकर करीब 1200 व्यक्तियों की हत्या नक्सलियों ने की है।