हृदयरोग के उपचार की पद्धति से गुर्दारोग का इलाज
तिरूवनंतपुरम, 14 जुलाई (आईएएनएस)। अबुधाबी में रहने वाले केरल निवासी जोसफ थामस के लिए हृदयरोग की चिकित्सा वरदान साबित हुई। इसने उसकी गुर्दे की बीमारी के इलाज में मदद की।
तिरूवनंतपुरम, 14 जुलाई (आईएएनएस)। अबुधाबी में रहने वाले केरल निवासी जोसफ थामस के लिए हृदयरोग की चिकित्सा वरदान साबित हुई। इसने उसकी गुर्दे की बीमारी के इलाज में मदद की।
पिछले 18 सालों से मधुमेह से पीड़ित जोसफ को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में चिकित्सकों ने सलाह दी थी कि उसके पास एकमात्र विकल्प बचा है कि वह अपने गुर्दे का प्रत्यारोपण करवा लें। 57 वर्षीय जोसफ को आगे के इलाज के लिए भारत भेज दिया गया। उसने यहां इनहैंस एक्सटर्नल काउंटर पल्सेशन (ईईसीपी) चिकित्सा पद्धति से अपना इलाज करवाया।
ईईसीपी के विशेषज्ञ अजीत जॉय ने आईएएनएस को बताया, "थामस की हालत खराब थी। मुझे उम्मीद थी कि इस चिकित्सा पद्धति से उसका इलाज संभव है, क्योंकि मैंने जर्मनी में प्रकाशित एक अध्ययन में पढ़ा था कि वहां यह इलाज गुर्दे और जिगर के मरीजों पर सफल रहा था।"
जॉय ने बताया कि थामस का 35 दिनों तक लगातार दिन में एक घंटे ईईसीपी चिकित्सा पद्धति से इलाज करने पर उनमें आश्चर्यजनक सुधार देखने को मिला।
उन्होंने बताया कि ईईसीपी चिकित्सा के बाद उसके वजन में छह किलो की कमी आई, उसका सूजन गायब हो गई, पेशाब में वृद्धि हुई और रक्तचाप भी सामान्य हो गया।
उन्होंने कहा कि देश में यह पहली बार है जब इस तरह की पद्धति से गुर्दे और जिगर का इलाज संभव हो पाया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।