गुनाह ने बनाया दीपक को समाज का 'दीपक'
पटना, 14 जुलाई (आईएएनएस)। चौदह वर्ष के कारावास की सजा के बाद समाज के लिए आदर्श बनना किसी के लिए असंभव नहीं तो मुश्किल जरूर है। परंतु दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर ऐसा ही कुछ कर दिखाया है बिहार के वैशाली जिले के हाजीपुर प्रखंड अंतर्गत दयालपुर गांव के दीपक कुमार ने।
आजीवन कारावास की सजा भुगत चुके दीपक आज बच्चों को शिक्षित करने का कार्य कर रहे हैं। 42 वर्षीय दीपक हत्या के एक मामले में 11 जून 1991 से 11 जुलाई 2005 तक 14 वर्ष के आजीवन कारावास की सजा भुगतने के बाद गलती की प्रायश्चित के लिए अब बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
दीपक ने अपराध के विषय में आईएएनएस को बताया कि वह उनका अतीत था। जो वर्तमान है वही सच्चाई है। उन्होंने कहा कि जेल जाने पर उन्हें यह एहसास हुआ कि उन्होंने जो किया था वह अच्छा नहीं था। सजा के दौरान ही दीपक ने स्नातक, स्नातकोतर और विधि की डिग्री हासिल की। उन्होंने जेल में ही यह फैसला ले लिया था कि यहां से बाहर निकलने वाला दीपक नया होगा, जो समाज को रोशनी देगा।
दीपक का कहना है कि जेल में भी कई बुरे लोग मिले जिन्होंने गलत सलाहें दी। परंतु अपने फैसले को ही सच मानने वाले दीपक ने जेल से निकलते ही एक स्कूल की नींव डाल दी। यह स्कूल आज बनकर तैयार है तथा इसमें कई छात्र-छात्रायें शिक्षा पा रहे हैं।
दीपक के पढ़ाने के तरीके ने पूरे गांव का मन मोह लिया है। दयालपुर गांव के राधा मोहन का कहना है कि सचमुच दीपक आज समाज को रोशनी दे रहा है। उनका मानना है कि दीपक से समाज के उन सभी लोगों को शिक्षा लेनी चाहिए जो रास्ते से भटक चुके हैं। दीपक के स्नेहपूर्ण रवैये के उनके सहयोगी शिक्षक भी कायल हो गए हैं। शिक्षक पप्पु कुमार कहते हैं कि आदमी इंसान तभी बनता है जब उसे अपनी गलती का एहसास हो। पप्पु का कहना है कि दीपक के दुश्मन भी आज उनके प्रिय हैं। दीपक के हाथों कभी पीड़ित व्यक्ति भी आज अपने बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए उनके स्कूल में ही भेजते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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