जजों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले की सर्वोच्च न्यायालय में होगी खुली सुनवाई
नई दिल्ली, 14 जुलाई (आईएएनएस)। शीर्ष अदालत के एक न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कुछ कार्यरत व अवकाश प्राप्त न्यायाधीशों और उत्तरप्रदेश की निचली अदालतों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले पर गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय में खुली सुनवाई होगी।
प्रधान न्यायाधीश के. जी. बालकृष्णन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सोमवार को इस संवेदनशील मामले की खुली सुनवाई करने का निर्णय लिया। न्यायाधीश पी. सथाशिवम और न्यायाधीश जे. एम. पांचाल इस खंडपीठ के अन्य सदस्य हैं। खुली सुनवाई का निर्णय उस धारणा को निराधार साबित करने के लिए लिया गया है जिसमें माना जाता है कि आंतरिक भ्रष्टाचार से निपटने के लिए न्यायपालिका दूसरा मापदंड अपनाती है।
खंडपीठ ने सॉलिसीटर जनरल गुलाम ई. वहनावती, वरिष्ठ वकीलों फली एस. नरीमन व शांति भूषण सहित कई लोगों से बंद कमरे में सलाह मशविरा करने के बाद यह निर्णय लिया।
हालांकि पिछले सोमवार को खंडपीठ ने नरीमन के तर्क को स्वीकार करते हुए बंद कमरे में सुनवाई का निर्णय लिया था। नरीमन ने कहा था कि मामले की खुली सुनवाई से न्यायपालिका के सही लोगों की छबि धूमिल होंगी।
मीडिया द्वारा इस मामले को उछाले जाने की संभावना के देखते हुए नरीमन ने मामले की जांच पुलिस या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से करवाने के बजाय सर्वोच्च अदालत के वर्तमान या अवकाश प्राप्त न्यायाधीश से कराने की बात कही थी। संभावित जांच की पद्धति तय करने के लिए खंडपीठ ने बंद कमरे में सुनवाई का फैसला लिया था।
मामला गाजियाबाद जिला अदालत के निम्न श्रेणी के कर्मचारियों के भविष्य निधि का 23 करोड़ रुपया निकाले जाने से संबंधित है। गाजियाबाद पुलिस द्वारा इस आपराधिक मामले की जांच में कुछ न्यायाधीशों के नाम सामने आए थे।
जिले की विशेष सीबीआई अदालत की जज रमा जैन के निष्कर्षो पर गाजियाबाद पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की थी। जैन ने इस मामले में जजों की भूमिका पर सवाल उठाए थे। इसके बाद मामले की जांच के लिए गाजियाबाद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नाहर सिंह यादव ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय से उच्च स्तरीय जांच की गुहार लगाई। उच्च न्यायालय ने मामले की गाजियाबाद पुलिस द्वारा की जा रही जांच को संतोषजनक बताया था। इसके बाद यादव ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की थी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
*