संप्रंग पर संसदों की खरीद-फरोख़्त के आरोप
संसदीय कार्यमंत्री वयालार रवि ने सरकार की ओर से विश्वास मत के दौरान आसानी से जीत हासिल करने का दावा किया है। जबकि कांग्रेस के ही कई अन्य नेताओं का कहना है कि आवश्यक आंकड़े जुटा पाना संप्रंग के लिए इतना आसान नहीं होगा।
लोकसभा में कांग्रेस के 153 सांसद हैं। कांग्रेस का दावा है कि उसे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के 24, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के 16, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के 11, पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के छह, लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) के चार और सात अन्य सांसदों का समर्थन प्राप्त है।
इसके अलावा कांग्रेस मंत्रियों का दावा है कि उसे समाजवादी पार्टी (सपा) के 37, नेशनल कांफ्रेंस के 2, राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के तीन और चार स्वतंत्र सांसदों का समर्थन प्राप्त है। यह भी उम्मीद जतायी जा रही है कि तृणमूल कांग्रेस और तेलंगाना राज्य समिति भी संप्रंग के समर्थन में ही मतदान करेंगी। इस हिसाब से मनमोहन सिंह 270 सांसदों का समर्थन प्राप्त कर सकते हैं।
एक तरफ जहां संप्रंग सांसदों के समर्थन के गठजोड़ में लगी है, वहीं दूसरी ओर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। भाकपा महासचिव बर्धन ने संप्रंग पर आरोप लगाया कि वह समर्थन जुटाने के लिए उसे 25 करोड़ रुपये का प्रलोभन दे रही है।
उधर हैदराबाद में मनमोहन सिंह सरकार को गिराने में तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के प्रमुख एन. चंद्रबाबु नायडू महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की कोशिश में लगे हैं। संसद में संप्रंग के खिलाफ वोटों को एकजुट करने के लिए वे जल्द ही दिल्ली जाएंगे।
बताया जा रहा है कि नायडू इस बाबत बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और विभिन्न वाम दलों से भी मिलेंगे। नायडू अगले सप्ताह 19 और 20 तारीख को दो दोनों के दिल्ली प्रवास पर जाने वाले हैं।
भाजपा भी आरोपों के मामले में पीछे नहीं है। भोपाल में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा है कि विश्वास मत हासिल करने के लिए कांग्रेस किसी भी हद तक जाने को तैयार है। कांग्रेस जो कर रही है, वह नैतिकता के खिलाफ है, इसलिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को देश हित में इस्तीफा देकर नए जनादेश की तैयारी कर लेनी चाहिए।
राजनाथ ने कहा कि परमाणु करार देश हित में नहीं है और यह देश की आणविक क्षमता पर असर डालने वाला है। केन्द्र सरकार महंगाई, किसानों की आत्महत्या, खाद्यान्न संकट, आतंकवाद जैसे मुद्दों से देश की जनता का ध्यान हटाने के उद्देश्य से ही परमाणु करार पर आगे बढ़ रही है।
वाम
दलों
पर
राजनाथ
ने
कहा
कि
उन्होंने
चार
सालों
तक
केन्द्र
सरकार
को
अपनी
गिरफ्त
में
रखा,
जिससे
देश
की
आर्थिक
और
विदेश
नीति
को
काफी
क्षति
पहुंची।
कांग्रेस
ने
अब
समाजवादी
पार्टी
(सपा)
से
हाथ
मिलाया
है।
सपा
का
तो
वाम
दलों
से
भी
बुरा
हश्र
होगा।
कांग्रेस
को
तो
देश
से
ज्यादा
चिन्ता
अपनी
सरकार
की
है।
इसीलिए
वह
लगातार
देश
हित
के
विपरीत
फैसले
किए
जा
रही
है।