चुनाव केंद्रित विकल्प का हश्र यूएनपीए जैसा होगा:करात
नई दिल्ली, 14 जुलाई (आईएएनएस)। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (माकपा) के महासचिव प्रकाश करात का मानना है कि सिर्फ इस या उस चुनाव के मद्देनजर देश की राजनीति में तीसरा विकल्प नहीं उभर सकता। उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) का नाम लिए बगैर कहा कि कुछ क्षेत्रीय दलों को मिलाकर बनाए गए 'यूनाइटेड नेशनल प्रोग्रेसिव अलायंस' (यूएनपीए) का जो हश्र हाल ही में हुआ है उससे भी यह स्पष्ट हो गया है कि तीसरा मोर्चा वैकल्पिक नीति-कार्यक्रमों और संघर्ष के आधार पर ही बन सकता है। माकपा ऐसे विकल्प के लिए सतत पहल करती रहेगी।
नई दिल्ली, 14 जुलाई (आईएएनएस)। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (माकपा) के महासचिव प्रकाश करात का मानना है कि सिर्फ इस या उस चुनाव के मद्देनजर देश की राजनीति में तीसरा विकल्प नहीं उभर सकता। उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) का नाम लिए बगैर कहा कि कुछ क्षेत्रीय दलों को मिलाकर बनाए गए 'यूनाइटेड नेशनल प्रोग्रेसिव अलायंस' (यूएनपीए) का जो हश्र हाल ही में हुआ है उससे भी यह स्पष्ट हो गया है कि तीसरा मोर्चा वैकल्पिक नीति-कार्यक्रमों और संघर्ष के आधार पर ही बन सकता है। माकपा ऐसे विकल्प के लिए सतत पहल करती रहेगी।
पार्टी के मुखपत्र 'लोकलहर' को दिए एक साक्षात्कार में करात ने कहा कि तीसरा मोर्चा तभी सफल होगा जब वह कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नीतियों के विकल्प के रूप में उभर कर सामने आए।
लगातार चार वर्षो तक कांग्रेसनीत सरकार का समर्थन करने के मुद्दे पर करात ने कहा, "हमने केवल सांप्रदायिक ताकतों को सत्ता से दूर रखने के लिए यूपीए सरकार से हाथ मिलाया था लेकिन धीरे-धीरे हमें महसूस होने लगा कि किस तरह सरकार इन पर अंकुश लगाए रखने में विफल हो रही है। कई राज्यों में होने वाले चुनावों में कांग्रेस को भाजपा के हाथों मात खानी पड़ी क्योंकि उसकी आर्थिक नीतियां लोगों पर बुरा असर डाल रही थीं जिसका लाभ सांप्रदायिक ताकतों को मिलता रहा।"
करात ने कहा कि हमारे समर्थन वापस ले लेने के बाद सरकार की वैधता समाप्त हो गई है और उसे जल्द से जल्द लोकसभा में विश्वास मत हासिल करना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार का आधार तेजी से खिसक रहा है और ऐसे में अगर कोई दल उसके साथ अपना भविष्य जोड़ना चाहता है तो यह उस दल का नितांत निजी फैसला है।
भारत-अमेरिका असैन्य नाभिकीय समझौते के भविष्य के बारे में करात ने कहा, "हमने हर कदम पर इसका विरोध किया है और हम कोशिश करेंगे कि मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व में यह समझौता फलीभूत न हो।" इस मुद्द्े पर वाम दलों के अलग थलग पड़ने की बात से इंकार करते हुए करात ने कहा कि सरकार इस मुद्दे को जनता के बीच लेकर जाए तो अभी स्थिति साफ हो जाएगी।
वाम दलों की भावी नीतियों के बारे में करात ने कहा, "वामदल एक देशव्यापी अभियान छेड़कर समर्थन वापसी के कारण जनता के सामने रखेंगे और सभी जनतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष ताकतों को गोल बंद करेंगे।" करात ने कहा कि हम जनता के सामने कांग्रेस तथा भाजपा के अलावा नीतियों पर आधारित एक तीसरा विकल्प रखना चाहते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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