जिम्बाब्वे पर नहीं लग पाया प्रतिबंध
रूसी राजदूत विटले चर्किन ने विटो का इस्तेमाल कर अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा लाए गए प्रस्ताव को निरस्त करवा दिया। गौरतलब है कि रुस परिषद के उन स्थायी सदस्यों में शामिल है जिसके पास वीटो पावर है।
परिषद के कुल 15 में से नौ सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में और पांच ने विपक्ष में मत दिया और एक सदस्य अनुपस्थित रहा। फ्रांस, बेल्जियम, इटली और नीदरलैंड ने प्रस्ताव का समर्थन किया।
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में जिम्बाब्वे के दूत बी.जी. चिदयासिकु ने इस बात का आग्रह किया था कि उनके देश पर और प्रतिबंध न लगाए जाएं और यह भी कि जिम्बाब्वे पहले ही अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से जूझ रहा है।
उन्होंने
कहा,
"इस
प्रस्ताव
से
देश
में
राजनीतिक
बातचीत
की
प्रक्रिया
को
भी
धक्का
पहुंच
सकता
है
और
देश
की
सामाजिक
व
आर्थिक
परिस्थितियां
और
खराब
हो
सकती
हैं।"