22 जुलाई को विश्वास प्रस्ताव लायेगी यूपीए
नई
दिल्ली,
12
जुलाई:
परमाणु
करार
के
मुद्दे
पर
वाम
दलों
द्वारा
समर्थन
वापस
लिए
जाने
के
बाद
विपक्ष
लगातार
दावा
कर
रही
है
कि
सत्ताधारी
संयुक्त
प्रगतिशील
गठबंधन
(संप्रग)
सरकार
अल्पमत
में
आ
गई
है।
इसके
जवाब
में
संप्रंग
सरकार
ने
22
जुलाई
को
संसद
में
विश्वास
प्रस्ताव
लाने
पर
भरोसा
जताया
है।
संप्रंग
का
यह
फैसला
भारतीय
जनता
पार्टी
(भाजपा)
और
वामपंथी
पार्टियों
द्वारा
सदन
में
विश्वास
मत
हासिल
करने
को
लेकर
बनाये
गये
दबाव
के
बाद
लिया
है।
संप्रंग
के
एक
मंत्री
के
मुताबिक
कैबिनेट
कमेटी
की
बैठक
में
21
से
22
जुलाई
तक
संसद
का
दो
दिवसीय
विशेष
सत्र
बुलाने
का
फैसला
लिया
गया
है।
सदन
में
सरकार
लोकसभा
में
अपना
बहुमत
साबित
करेगी।
विश्वास
मत
हासिल
करने
को
लेकर
कांग्रेस
कार्यसमिति
में
भी
विचार
मंथन
किया
गया।
कांग्रेस
अध्यक्ष
सोनिया
गांधी
के
नेतृत्व
में
लगभग
दो
घंटे
तक
चली
इस
बैठक
में
राजनीतिक
सगर्मियों
पर
चर्चा
हुई।
बैठक
में
युवा
महासचिव
राहुल
गांधी
समेत
कार्यसमिति
के
सभी
सदस्य
मौजूद
थे।
बैठक
के
बाद
मीडिया
प्रभारी
एम.
वीरप्पा
मोइली
ने
बताया
कि
सरकार
ने
विश्वास
मत
हासिल
करने
का
फैसला
इसलिए
लिया
है,
क्योंकि
अभी
भी
लोगों
से
किए
गए
वादों
को
पूरा
करना
बाकी
है।
इस
सरकार
का
गठन
सिर्फ
एक
ही
मुद्दे
पर
नहीं
हुआ
था।
लोगों
से
किए
वादों
को
पूरा
करने
के
लिए
सरकार
के
पास
और
भी
मुद्दे
हैं।
मोइली
ने
कहा
कि
संप्रंग
वाम
दलों
को
धन्यवाद
देती
हैं,
कि
उन्होंने
सरकार
चलाने
में
चार
सालों
तक
उनकी
मदद
की।
कांग्रेस
सूत्रों
के
मुताबिक
संप्रग
के
236
सांसदों
के
अलावा
उसके
पास
समाजवादी
पार्टी
के
37
और
कुछ
निर्दलीय
सांसदों
का
समर्थन
है।
कई
मंत्रियों
का
दावा
है
कि
सरकार
के
पास
बहुमत
से
भी
अधिक
280
सांसदों
का
समर्थन
प्राप्त
है।