मनमोहन के बयान से तेज हुई तकरार

By Staff
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Manmohan Singh
नई दिल्ली, 1 जुलाईः भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते पर आगे बढ़ने की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की प्रतिबद्धता ने सरकार और वामदलों के बीच के टकराव को और बढ़ा दिया है।

इसके साथ ही केंद्र की कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के भविष्य पर अनिश्चिचतता के बादल मंडराने लगे हैं। मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव प्रकाश करात ने रविवार को पोलित ब्यूरो की बैठक के बाद कहा था कि सरकार यदि करार पर आगे बढ़ी तो वामपंथी दल समर्थन वापस ले लेंगे।

जलवायु परिवर्तन के संबंध में राष्ट्रीय कार्ययोजना की घोषणा के बाद अपने निवास पर पत्रकारों से बातचीत में प्रधानमंत्री ने कहा, "मैंने पहले भी कहा था और मैं फिर कह रहा हूं कि आप हमें करार की प्रक्रिया पूरी करने दीजिए। जैसे ही यह प्रक्रिया पूरी होगी हम इसे संसद के सामने रखेंगे और संसद जो व्यवस्था देगी उससे हम बाध्य होंगे।"

उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) में भारत केंद्रित सेफगार्ड समझौता और 45 देशों वाली परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के साथ परमाणु सुरक्षा मानकों को लेकर समझौता करने के बाद वे इस पूरे मामले को संसद के समक्ष प्रस्तुत करने को तैयार हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि करार पर वामदलों को विरोध कोई नया नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सहयोगी दलों के साथ मिलकर कोई न कोई रास्ता निकाल लिया जाएगा।

इस बीच कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के रुख का पुरजोर समर्थन किया है। कांग्रेस प्रवक्ता जयंती नटराजन ने कहा, "परमाणु करार करने को लेकर हम प्रतिबद्ध हैं। हमारी कोशिश है कि इसका समर्थन करने वाले सभी दलों व लोगों को साथ जोड़ें।"

बहरहाल, कांग्रेस में इस बात को लेकर मतभेद बरकरार है कि समाजवादी पार्टी (सपा) का समर्थन लिया जाना चाहिए या नहीं। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "यदि सपा हमारे साथ आ जाती है तो उत्तरप्रदेश में हम एक मजबूत सहयोगी हो सकते हैं।" माकपा की ताजा धमकी के मद्देनजर मंगलवार को कांग्रेस पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गई है।

आगामी गुरुवार को संयुक्त राष्ट्रीय प्रगतिशील गठबंधन (यूएनपीए) के घटक दलों की दिल्ली में होनी है जिसमें करार पर गठबंधन का रुख स्पष्ट किया जाएगा। इसके अगले ही वामदलों की भी एक बैठक होने वाली है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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