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बसपा की नई रणनीति से सभी दलों को अचरज

By Staff
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लखनऊ, 1 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तरप्रदेश में सत्तारूढ़ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) द्वारा दूसरे दलों के विधायकों को साथ लेने के तरीके में आए परिवर्तन से सभी दल अचरज में हैं।

लखनऊ, 1 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तरप्रदेश में सत्तारूढ़ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) द्वारा दूसरे दलों के विधायकों को साथ लेने के तरीके में आए परिवर्तन से सभी दल अचरज में हैं।

पिछले वर्ष 13 मई को स्पष्ट बहुमत के साथ प्रदेश की सत्ता संभालने के बावजूद बसपा प्रमुख मायावती ने दूसरे दलों के विधायकों को बसपा में शामिल करने का जो अभियान छेड़ा था, वह रुक रुककर अब भी जारी है। बसपा में शामिल होने वाले सभी विधायकों को हाथी पर सवार होने से पहले विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ा।

अब तक समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर जीते हरदोई के नरेश अग्रवाल, स्वारटांडा (रामपुर) के नवाब काजिम अली खान उर्फ नावेद मियां और फारूखाबाद के विजय सिंह, कांग्रेस के टिकट पर जीते करनैलगंज गोंडा के अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया और गाजियाबाद की मुरादनगर सीट के निर्दलीय विधायक राजपाल त्यागी के नाम शामिल हैं।

इस्तीफे से खाली हुई सीटों पर नावेद मियां, राजपाल त्यागी और लल्ला भैया की बहन कुंवर बृज सिंह उपचुनाव में बसपा के टिकट पर निर्वाचित हुए। नरेश अग्रवाल की सीट पर उनके पुत्र को लड़ाने की घोषणा बसपा प्रमुख पहले ही कर चुकी हैं।

पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री अखिलेश दास जब बसपा में शामिल हुए तो उन्हें भी राज्य सभा की सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन, हाल ही में बसपा में शामिल हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धनीराम वर्मा और विधायक कादिर राणा द्वारा विधानसभा की सदस्यता से अब तक इस्तीफा न देना कौतूहल का विषय बना हुआ है।

गौरतलब है कि धनीराम वर्मा औरैया जिले की बिधूना सीट से सपा विधायक हैं, जबकि कादिर राणा मुजफरनगर जिले की मोरना सीट से राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर विधायक चुने गए थे।

कादिर राणा न केवल बसपा में शामिल हो चुके हैं, बल्कि उन्हें मुजफरनगर सीट से बसपा का लोकसभा उम्मीदवार भी घोषित किया जा चुका है। दिलचस्प है कि राणा और वर्मा के मामले में उनके मूल दल भी कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। दोनों नेताओं पर दोनों ही दलों की ओर से मेहरबानी का सबब चर्चा का विषय बना हुआ है।

इस बारे में पूछे जाने पर राष्ट्रीय लोकदल विधायक दल के नेता नवाब कोकब हमीद खां ने आईएएनएस से कहा कि फिलहाल कादिर राणा के मामले में कोई निर्णय नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि वह पार्टी अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह से बात करने के बाद ही यह बता पाएंगे कि पार्टी राणा की विधानसभा की सदस्यता रद्द कराने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के पास याचिका दायर करेगी या नहीं।

सपा के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि यद्यपि धनीराम वर्मा अपने बेटे समेत बसपा में शामिल हो गए हैं, लेकिन उनकी विधानसभा की सदस्यता के बारे में पार्टी विधायक दल ही कोई निर्णय लेगा और वह इस बारे में कुछ नहीं कह सकते।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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