समलैंगिक परेड में सैंकड़ों जुटे एकजुटता प्रदर्शित करने
मधुश्री चटर्जी
मधुश्री चटर्जी
नई दिल्ली, 30 जून (आईएएनएस)। रविवार की शाम खराब मौसम के बीच 32 साल का एक कमजोर व्यक्ति जिसकी कान और भौंहें छिदी हुईं थीं एक तीखे शारीरिक हाव-भाव के साथ उपस्थित हुआ।
वह दिल्ली में आयोजित समलैंगिकों की पहली परेड में एकजुटता प्रदर्शित करने आया था।
इस परेड में करीब 500 समलैंगिकों ने हिस्सा लिया। उनके हाथ में गुलाबी रंग की तख्तियां थीं जिस पर 'अनोखा और प्यारा' लिखा हुआ था।
इस परेड में शामिल होने के लिए खानम नाम का एक व्यक्ति जिसे समलैंगिक लोग चाची या दीदी से संबोधित करते हैं, खुद के जीवन को किसी चमत्कार से कम नहीं मानते।
खानम, जो पिछले दस साल से समलैंगिक हैं,ने कहा कि एक व्यक्ति के तौर पर जीवन बदलता रहा है। खानम ने बताया कि एक लड़की के विवाह के दु:खद अंत के बाद उन्हें उससे प्यार हो गया था। यह तीन साल पहले की बात है।
दिल्ली में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करने वाले एक नेपाली युवा ने बताया कि मेरा जीवन दु:खों की एक श्रृंखला है। जब मैं 13 साल का था तब मेरे चचेरे भाई ने मेरा बलात्कार किया था। यह नेपाली युवा तीन साल बाद रविवार को समलैंगिकों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए आया था।
दिल्ली की एक सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण सिंह ने कहा,"यह परेड एक प्रकटीकरण था। सोचने की बात यह नहीं है कि यह सामान्य है या नहीं। यह मामला सेक्स से जुड़ा है जो हम सबकी अभिन्न जरुरत है।"
प्रबीण ने कहा,"सरकार पुराने नियमों से बंधी है जो समलैंगिकता को अपराध बताते हैं।"
रविवार को यह परेड स्टोनवाल दंगों की याद में आयोजित की गई थी। 28 जून 1969 को न्यूयार्क पुलिस ने स्टोनवाल नामक एक होटल पर छापा मारा था जहां कई समलैंगिक जमा थे जिसके बाद दंगा भड़क गया था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।