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तराई की पार्टियों के कड़े रुख के कारण नेपाल में सरकार गठन में देरी

By Staff
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काठमांडू, 30 जून (आईएएनएस)। गिरिजा प्रसाद कोइराला के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के चार दिन बाद भी पूर्व माओवादी छापामारों को सरकार गठन के प्रयासों में सफलता नहीं मिली है। तराई क्षेत्र की राजनीतिक पार्टियों ने उनकी राह में मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।

काठमांडू, 30 जून (आईएएनएस)। गिरिजा प्रसाद कोइराला के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के चार दिन बाद भी पूर्व माओवादी छापामारों को सरकार गठन के प्रयासों में सफलता नहीं मिली है। तराई क्षेत्र की राजनीतिक पार्टियों ने उनकी राह में मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।

नवगठित संविधान सभा, जो नए संविधान के निर्माण तक नेपाल की काम चलाऊ संसद की भूमिका निभाएगी, की कार्यवाही के दौरान मधेसी जनाधिकार फोरम, तराई मधेसी लोकतांत्रिक पार्टी और सद्भावना पार्टी के सदस्यों का तेवर सख्त बना हुआ है।

इन राजनीतिक पार्टियों ने मैदानी क्षेत्र के लोगों के लिए अलग राज्य के निर्माण के मुद्दे पर तेवर कड़ा कर लिया है। इन तीनों दलों ने उस वक्त अपना विरोधी तेवर दिखाया जब माओवादी सांसदों ने सदन में महज साधारण बहुमत के आधार पर सरकार गठन की संवैधानिक व्यवस्था के लिए एक प्रस्ताव पेश किया। इन दलों के नेताओं ने इस पर कड़ा प्रतिरोध जताया।

इन दलों का कहना है कि कोइराला सरकार ने इस साल अप्रैल में उनसे वादा किया था कि स्वायत्त मधेसी राज्य के गठन के लिए कदम उठाए जाएंगे और तराई क्षेत्र की जनता के लिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व की व्यवस्था कायम की जाएगी। वे दल सेना, पुलिस और प्रशासन में इस इलाके के लोगों को वाजिब प्रतिनिधित्व दिए जाने की मांग कर रहे हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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