खतरे में है गेंडे का अस्तित्व
गुवाहाटी, 29 जून (आईएएनएस)। देश के पूर्वोत्तर हिस्सों में बसने वाले एक सींग वाले गेंडे का अस्तित्व शिकार की बदस्तूर जारी घटनाओं और सिकुड़ते पर्यावास की वजह से खतरे में पड़ गया है।
गुवाहाटी, 29 जून (आईएएनएस)। देश के पूर्वोत्तर हिस्सों में बसने वाले एक सींग वाले गेंडे का अस्तित्व शिकार की बदस्तूर जारी घटनाओं और सिकुड़ते पर्यावास की वजह से खतरे में पड़ गया है।
पिछले वर्ष शिकारियों ने असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और उसके आसपास के इलाकों से 20 गेंडों को अपना शिकार बनाया। अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष यह आंकड़ा पहले ही सात तक पहुंच चुका है।
430 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला यह उद्यान करीब 1800 गेंडे का बसेरा है, दुनिया में सबसे ज्यादा गेंडे यहीं बसते हैं। असम के दो अन्य उद्यानों पोबितोरा वन्यप्राणी अभयारण्य तथा ओरंग राष्ट्रीय उद्यान में करीब 150 गेंडे हैं। ओरंग में इस वर्ष तीन गेंडों की मौत हो गई। करीब 400 गेंडे नेपाल के चितवन राष्ट्रीय उद्यान, बारदिया राट्रीय उद्यान और सुल्कापंथा राष्ट्रीय उद्यान में हैं।
शिकार की बढ़ती घटनाओं और सिकुड़ते पर्यावास की वजह से गेंडों की आबादी प्रभावित हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि गेंडे अपने सींगों की वजह से शिकारियों का निशाना बनते हैं।
अंतर्राट्रीय बाजार में गेंडे के एक सींग की कीमत पांच लाख से लेकर दस लाख रुपए तक है। कारोबारी सींग को टुकड़ों में या फिर पाउडर के रूप में बेचते हैं।
गेंडे के शिकार के लिए पहले श्किारी गड्ढा खोदकर उसे पत्तियों टहनियों से ढक देते थे, जब गेंडे का पैर उन पर पड़ता था, वह गड्ढे में फंस जाया गया करता था, लेकिन इसमें शिकारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ती थी, इसलिए उन्होंने बिजली के करंट जैसे अब कई नए तरीके अपना लिए हैं।
पिछले वर्ष शिकारियों ने एक मादा गेंडे को शिकार बनाया था, जो गर्भवती थी। इस वर्ष कांजीरंगा उद्यान में एक मादा गेंडे और बच्चे को गोलियों ने छलनी कर दिया। इसमें बच्चे की मौत हो गई और मादा बुरी तरह घायल हो गई। इस घटना में शिकारी उसका सींग ले जाने में कामयाब रहे।
इस घटना के व्यापक विरोध को देखते हुए असम के वनमंत्री रकिबुल हुसैन को इस मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई )से जांच की बात करनी पड़ी। सीबीआई को हालांकि सरकार की ओर से इसका अनुरोध नहीं मिला है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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