छात्रों में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति के लिए मोबाइल और इंटरनेट जिम्मेदार: आईआईटी-के
लखनऊ, 29 जून (आईएएनएस)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर (आईआईटी-के) ने आरोप लगाया है कि उसके छात्रों में मोबाइल और इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल के कारण आत्महत्या की प्रवृति बढ़ी है।
विगत दो जून को संस्थान के अल्युमनी एसोसिएशन द्वारा सूचना के अधिकार के तहत दायर याचिका का जवाब देते हुए संस्थान ने कहा कि जो छात्र लगातार अपने परिवार के सदस्यों, दोस्तों और रिश्तेदारों के संपर्क में बने रहते हैं उनमें तरह-तरह के विचार हावी हो जाते हैं।
कई बार तो बात करके छात्र इतने परेशान हो जाते हैं कि उन्हें शांतिपूर्वक पढ़ाई करने का समय ही नहीं मिल पाता। इससे उनका परीक्षा परिणाम खराब हो जाता है और वे आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते हैं।
संस्थान के अधिकारियों ने बताया कि पहले जब मोबाइल फोन इतने प्रचलित नहीं थे तो छात्रों को पर्याप्त समय पढ़ाई के लिए मिल जाता था। अब इंटरनेट के बहुत ज्यादा इस्तेमाल से छात्र ऐसी वेबसाइटों के प्रभावों में आ जाते हैं जो उनमें नकारात्मक विचार पैदा करती है और वे आत्महत्या के लिए प्रेरित हो जाते हैं।
गौरतलब है कि संस्थान की छात्रा रितिका तोया चटर्जी की मृत्यु के बाद यह याचिका दायर की गई थी। रितिका ने अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा में फेल होने के बाद विगत 30 मई को आत्महत्या कर ली थी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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