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क्या मुद्रास्फीति पर नकेल कसने के लिए देरी से कदम उठाए गए?

By Staff
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नई दिल्ली, 27 जून (आईएएनएस)। ऐसे में जब मुद्रास्फीति पिछले 14 वर्षो में सर्वाधिक 11़ 42 फीसदी की दर पर पहुंच गई है तो यह सवाल शिद्दत से पूछा जा रहा है कि क्या सरकार ने इस पर नकेल कसने के लिए देर से कदम उठाया और क्या सरकार महंगाई रोकने के लिए कोई ज्यादा ठोस कदम उठा सकती थी?

नई दिल्ली, 27 जून (आईएएनएस)। ऐसे में जब मुद्रास्फीति पिछले 14 वर्षो में सर्वाधिक 11़ 42 फीसदी की दर पर पहुंच गई है तो यह सवाल शिद्दत से पूछा जा रहा है कि क्या सरकार ने इस पर नकेल कसने के लिए देर से कदम उठाया और क्या सरकार महंगाई रोकने के लिए कोई ज्यादा ठोस कदम उठा सकती थी?

एक ओर जहां वित्तमंत्री पी़ चिदंबरम यह दावा कर रहे हैं कि सरकार की ओर से मुद्रास्फीति को नकेल कसने में कोई नीतिगत चूक नहीं हुई, वहीं ऐसा मानने वालों की तादाद कम नहीं है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार महंगाई रोकने के लिए और सख्त कदम उठा सकती थी।

अगर सरकार शुरू में भी संकट की जटिलता भांप लेती तो इतनी मुश्किलें पैदा नहीं होती। यहां तक कि योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने भी यह स्वीकार किया कि इस दिशा में और पहले कदम उठाया जाना चाहिए था।

रिजर्व बैंक पिछले एक वर्ष से चिंताजनक परिदृश्य की चेतावनी दे रहा था तथा तेल की कीमतों में उछाल से पैदा होने वाले संभावित हालात के बारे में आगाह कर रहा था। हालांकि खुद बैंक की ओर से भी मौद्रिक अनुशासन की दिशा में देर से कदम उठाया गया है।

सरकार की ओर से कदम उठाए जाने में देरी की एक प्रमुख वजह राजनीति रही है। सरकार ने जन प्रतिक्रिया से बचने के लिए सख्त कदम उठाने से परहेज किया लेकिन अब उसके सामने विकल्प कम रह गए हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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