बांग्लादेश युद्ध के नायक सैम बहादुर नहीं रहे (लीड-3)
चेन्नई/नई दिल्ली, 27 जून (आईएएनएस)। भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख और वर्ष 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के नायक माने जाने वाले देश के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ का शुक्रवार तड़के तमिलनाडु के वेलिंग्टन स्थित सेना के अस्पताल में निधन हो गया।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने और रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी ने मानेकशॉ के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए उन्हें एक महान सैनिक और देश के लिए प्रेरणादायी शख्सियत बताया है।
प्रधानमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा, "मानेक शॉ ने चार दशक से भी ज्यादा अर्से तक भारतीय सेना को बेहद विशिष्ट सेवाएं प्रदान कीं।"
मनमोहन सिंह ने कहा, "सैन्य इतिहासकार सैम बहादुर को उनकी उच्च रणनीतिक क्षमताओं और प्रेरणादायी नेतृत्व के लिए हमेशा याद रखेंगे।"
उन्होंने अपने संदेश में सैम बहादुर को कई अभियानों का सफल संचालक और प्रेरणादायी नेता बताते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में मिली विजय की बदौलत बांग्लादेश का उदय हुआ।
मानेकशॉ का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा और उन्हें 21 तोपों की सलामी दी जाएगी। उनके अंतिम संस्कार में रक्षा राज्य मंत्री एम. एम. पल्लम राजू उपस्थित रहेंगे।
मानेकशॉ का जीवन उपलब्धियों से भरा रहा। उन्होंने देश के लिए कई जंगों में निर्णायक भूमिका निभाई। उन्हें देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था।
मानेकशॉ का जन्म तीन अप्रैल 1914 को अमृतसर में हुआ था। वे अपने पीछे दो बेटी माजा दारुवाला और शैरी बाटलीवाला को छोड़ गए। उनकी पत्नी सिलो का वर्ष 2001 में ही निधन हो गया था।
मानेकशॉ पिछले कुछ वर्षो से वृद्धावस्था में होने वाली कई बीमारियों से जूझ रहे थे। उनका इलाज नई दिल्ली के सेना अस्पताल और वेलिंग्टन स्थित अस्पताल में किया जा रहा था।
मानेकशॉ की सबसे बड़ी कामयाबी 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ जंग में जीत मानी जाती है। उस समय 90 हजार से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण किया था।
मानेकशॉ खुलकर अपनी बात कहने वालों में से थे। उन्होंने एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 'मैडम' कहने से इंकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि यह संबोधन 'एक खास वर्ग' के लिए होता है। मॉनेक शॉ ने कहा कि वे उन्हें प्रधानमंत्री ही कहेंगे।
मॉनेक शॉ ने प्रारंभिक शिक्षा अमृतसर में पाई, बाद में वे नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में दाखिल हो गए। वे देहरादून के इंडियन मिलिट्री एकेडमी के पहले बैच के लिए चुने गए थे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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