हिंसा का मुकाबला हिंसा से नहीं किया जा सकता: संदीप पांडेय
रायपुर, 27 जून(आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ में माओवादी हिंसा का मुकाबला करने के लिए सलवा जुड़ुम नामक अभियान शुरू किए जाने की आलोचना करते हुए जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता और मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडेय का कहना है कि हिंसा का जबाव हिंसा से देने की नीति सही नहीं कही जा सकती।
रायपुर, 27 जून(आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ में माओवादी हिंसा का मुकाबला करने के लिए सलवा जुड़ुम नामक अभियान शुरू किए जाने की आलोचना करते हुए जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता और मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडेय का कहना है कि हिंसा का जबाव हिंसा से देने की नीति सही नहीं कही जा सकती।
पांडेय ने यहां आईएएनएस से बातचीत में कहा, "हिंसा का जवाब िंहंसा से नहीं दिया जा सकता। गोली के बदले गोली की नीति पर चलकर किसी भी समस्या का समाधान नहीं ढूंढ़ा जा सकता। माओवादी समस्या सरकार की गलत नीति का परिणाम है। दशकों तक शोषण और उपेक्षा की मार झेलने के बाद लोगों ने हथियार उठा लिए। इस समस्या का समाधान यही है कि प्रभावित क्षेत्र का चहुंमुखी विकास किया जाए।"
लखनऊ में रहने वाले पांडेय ने कहा कि माओवादी समस्या गरीबी, पिछड़ेपन, उपेक्षा का दुष्परिणाम है। यह एक सामाजिक-आर्थिक समस्या है और इसे धैर्यपूर्वक सुलझाए जाने की जरूरत है। इसके लिए समग्र विकास की योजना बनाई जाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने समस्या को इस नजरिए से देखने के बजाए खुद हिंसा को बढ़ावा देना शुरू कर दिया। वह मानते हैं कि सलवा जुडुम शुरू किया जाना बहुत बड़ी भूल थी।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने जन वितरण प्रणाली, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और दूसरी विकास योजनाओं की खामियां दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया होता, तो परिदृश्य दूसरा होता।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
*