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डेयरी फार्मिग में तलाशें रोजगार

By Staff
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नई दिल्ली, 27 जून (आईएएनएस)। अब वे दिन लद गए, जब लोग घर-घर जाकर दूध और दूध की बनी वस्तुएं बेचा करते थे। समय बदल चुका है और इसी के साथ डेयरी उत्पाद का स्वरूप भी बदल चुका है। अब इस क्षेत्र में आधुनिक प्रौद्योगिकी का प्रवेश हो चुका है। अब हमारे सामने एक ऐसा डेयरी उद्योग है, जिसका आधुनिकीकरण हो चुका है तथा तकनीकी परामर्श संगठन इस उद्योग की संरचना का हिस्सा बन चुका है।

देश भर में लगभग चार सौ डेयरी संयंत्रों को डेयरी कार्मिकों की तलाश रहती है। इस उद्योग में काम करने के इच्छुक लोगों के लिए कैरियर के अनेक अवसर मौजूद हैं, चूंकि दूध और इससे बनी वस्तुएं हमारे दैनिक खान-पान का आधार हैं। अत: इनकी बहुत अधिक मांग रहती है। इस मांग की पूर्ति के लिए संबद्ध आधारभूत संरचना भी आवश्यक है। इसी कारण डेयरी प्रौद्योगिकी की जरूरत पड़ती है।

डेयरी फार्मिग में डेयरी प्रौद्योगिकी का समावेश इस उद्योग का सर्वोत्तम पहलू है। डेयरी उत्पादों में दूध, मक्खन, घी और अन्य दूध उत्पाद शामिल हैं। इसके अलावा पुडिंग, कस्टर्ड, योगर्ट आदि भी डेयरी के प्रमुख उत्पाद हैं। इस उद्योग का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य इन पदार्थो को तैयार करना है। वस्तुत: डेयरी उद्योग के कार्यो को प्रमुखत: दो भागों में बांटा जा सकता है - पहला उत्पादन, दूसरा प्रक्रमण।

दुग्ध उत्पादन में दूध इकट्ठा किया जाता है, जिसके लिए अच्छी नस्ल के दुधारू पशुओं का प्रजनन तथा पालन अनिवार्य है। अगले चरण में दूध का प्रक्रमण आता है। यह प्रक्रिया संयंत्र में दूध पहुंचने पर प्रारंभ होती है। यहां वितरण के लिए दूध तैयार किया जाता है तथा इसे दुग्ध उत्पादों में परिवर्तित किया जाता है। यह डेयरी उत्पादों का सामान्य चित्रण है।

डेयरी प्रौद्योगिकी में इंजीनियरिंग के सिद्धांतों को डेयरी संबंधित किसी भी कार्य में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें उत्पादन से लेकर उपभोक्ता तक पहुंचने की अवस्था तक की प्रक्रियाएं शामिल हैं। डेयरी प्रौद्योगिकी के मूल तत्व जैव रसायन, जीवाणु विज्ञान तथा पोषण पर आधारित है।

डेयरी संयंत्र की कार्य-प्रणाली ऐसे प्रकार्यो के विशेष क्षेत्रों पर आधारित हैं, जिनमें तकनीकी ज्ञान तथा प्रकार्य के विशिष्ट क्षेत्र के हुनर की आवश्यकता होती है। चूंकि डेयरी प्रौद्योगिक को अत्याधुनिक फर्म चलाने की जरूरत होती है। इसलिए उसके पास फर्म को किफायती ढंग से चलाने तथा उत्पाद एवं पैकिंग की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सुपरवाइजर के कौशल के साथ-साथ तकनीकी कौशल भी होना चाहिए।

उसे उत्पादों के वितरण, कार्य का आयोजन करने तथा रिकॉर्ड रखने होते हैं। उसका एक मुख्य कार्य उप-उत्पादकों का इस्तेमाल करने के लिए नए-नए तरीके ढूंढ़ना भी है। प्रक्रमण उद्योग द्वारा तकनीकी परामर्शदाता की हैसियत से कार्य कर रहे लोगों के साथ मिलकर तकनीकी सहायता दी जाती है।

डेयरी उद्योग डेयरी तथा दुग्ध सहकारिता फमोर्ं, डेयरी अनुसंधान प्रयोगशालाओं तथा खाद्य प्रक्रमण कंपनियों, जैसे-नेस्ले, स्मिथक्लिन बीचम आदि में कैरियर के पर्याप्त अवसर प्रदान करता है। शिक्षण और अनुसंधान अन्य महत्वपूर्ण विकल्प हैं, क्योंकि अनेक डेयरी विज्ञान कॉलेज/देश के संस्थानों में शिक्षकों और अनुसंधानकर्ताओं के रूप में पर्याप्त संख्या में स्नातकों तथा स्नातकोत्तरों की जरूरत है।

आपको तकनीकी परामर्शदाता के रूप में नौकरी मिल सकती है। आप इस रूप में विभिन्न उच्च प्रौद्योगिकी डेयरी फार्मो में परामर्श सेवाएं प्रदान कर सकते हैं। उद्यमिता ऐसा क्षेत्र है, जहां व्यक्ति लधु स्तर पर दूध का संयंत्र तथा आइसक्रीम यूनिट खोल सकता है। आपको पूंजी के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अनेक सरकारी व अन्य एजेंसियां तथा बैंक ऐसी स्कीमों के लिए धन उपलब्ध कराते हैं और ऐसे उद्यमों को प्रोत्साहन देते हैं।

इस क्षेत्र का प्रमुख कैरियर पशु-विज्ञान है। जहां तक उत्पादन का संबंध है, पशु वैज्ञानिक पशुओं की देखभाल तथा इष्टतम उपयोगिता के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे डेयरी क्षेत्र में कार्य करना या पशु प्रजनन केंद्र में नौकरी पाना आसान हो जाता है। डेयरी प्रौद्योगिकीविद् दूध प्रापण अधिकारियों के रूप में कार्य करते हैं। इनका कार्य विभिन्न स्रोतों से दूध इकट्ठा करना है।

इंजीनियर के लिए इस क्षेत्र में संयंत्र के अनुरक्षण, विरचन, उपकरण और संयंत्र डिजाइन तथा परियोजना-निष्पादन कार्य विद्यमान हैं। लेकिन इस क्षेत्र में डिजाइनिंग से जुड़े इंजीनियर को डेयरी प्रक्रियाओं, इनके लक्ष्य तथा कार्यो की भलीभांति जानकारी होनी चाहिए, जिसमें दूध तैयार करना तथा दुग्ध उत्पादकों की गुणवत्ता भी शामिल है।

भौतिकी, रसायन शास्त्र तथा गणित विषयों के साथ बारहवीं के बाद आप कृषि इंजीनियरिंग या डेयरी प्रौद्योगिकी में बीटेक कर सकते हैं। इसके बाद भी अध्ययन जारी रखा जा सकता है। डेयरी प्रौद्योगिकी में बीटेक के बाद नौकरी पा सकते हैं। अन्य विकल्प कृषि में बीएस-सी करके कार्य करना या एमटेक करना है।

विशेषज्ञता के आधार पर पैसा मिलता है, लेकिन शुरू-शुरू में प्राय: सात हजार से नौ हजार रुपये तक प्रति माह वेतन मिलते हैं। पुन: प्रत्येक संगठन में अलग-अलग वेतन दिया जाता है। प्रतिष्ठित कंपनियां अच्छे वेतनमान देती हैं, लेकिन उद्यम या स्वरोजगार में अधिक धन कमाया जा सकता है। व्यक्ति लघु दुग्ध संयंत्र, डेयरी या क्रीम यूनिट खोल सकता है, जिसमें प्रतिष्ठित फर्म में शीर्ष पद पर आसीन व्यक्ति से दस गुणा अधिक आमदनी होती है।

प्रशिक्षणार्थी के रूप में आपको छात्रवृत्ति मिल सकती है, वहीं आपको दूरवर्ती क्षेत्रों में घंटों कार्य करना पड़ता है। जैसे-जैसे व्यक्ति एक विभाग का प्रभारी बनता है, उस पर जिम्मेदारियों का दबाव भी बढ़ता जाता है। प्रशिक्षार्थी से महाप्रबंधक बनने तक या उद्यमी के रूप में इस उद्योग में पैर जमाने तक कठिन लंबी यात्रा तय करनी पड़ती है, लेकिन यहां कार्य से मिलने वाली संतुष्टि अधिक महत्वपूर्ण है।

(कैरियर संबंधी और अधिक जानकारी के लिए देखिए ग्रंथ अकादमी, नई दिल्ली से प्रकाशित ए. गांगुली और एस. भूषण की पुस्तक "अपना कैरियर स्वयं चुनें"।)

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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