अपने फरिश्ते की घोर उपेक्षा करते रहे मैक्केन सिमोन पैरी
हनोई, 27 जून(आईएएनएस)। अपने अटूट देशप्रेम और वियतनाम युद्घ में जांबाजी की कहानी सुनाकर जॉन मैक्केन अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में बाजी मारने के लिए मशक्कत कर रहे हैं, लेकिन इतिहास उन्हें एक ऐसे शख्स के रूप में जरूर याद करेगा, जिसने उस फरिश्ते की घोर अनदेखी की जिसने उन्हें वियतनाम युद्घ के दौरान मौत के मुंह से बचाया था।
मैक्केन की बहादुरी की चर्चा के बीच यह कहानी दबकर रह गई है कि किस प्रकार इस शख्स ने अपने प्राणरक्षक की उपेक्षा की। यहां तक कि उसके निधन की खबर मिलने के बावजूद श्रद्घांजलि के लिए दो शब्द भी नहीं बोल पाए। 26 अक्टूबर, 1967 को मैक्केन जब मौत का शिकार बनने के करीब थे, तो बम शेल्टर में रह रहे एक वियतनामी माई वैन ओन की नजर उन पर पड़ी। मैक्केन का जंगी विमान मिसाइल की जद में आ गया और जान बचाने के लिए मैक्केन पैराशूट के सहारे तालाब में कूद गए।
तालाब में उनके पांव पैराशूट की डोरी में फंस गए और उन्हें संकट में देखकर माई वैन बमबारी की परवाह किए बगैर तालाब से उन्हें बाहर निकाल लाया। तब तक स्थानीय लोगों की भीड़ वहां उमड़ पड़ी थी और गुस्साई भीड़ ने मैक्केन की पिटाई शुरू कर दी, लेकिन वियतनामी ने जान जोखिम में डालकर उन्हें भीड़ से बचाया।
तीन दशकों बाद वियतनाम की सरकार ने इसकी पुष्टि की कि मैक्केन की जान बचाने वाला व्यक्ति माई था। वर्ष 1999 में हनोई में मैक्केन की इस फरिश्ते से मुलाकात कराई गई। मैक्केन ने उसे गले लगाया और उसे प्रतीक चिन्ह भी दिए। यह सब उन्होंने महज खानापूर्ति के तौर पर किया। उन्होंने अपनी आत्मकथा 'फेथ ऑफ माई फादर्स' में इस व्यक्ति के उपकार का कोई जिक्र नहीं किया, जबकि पुस्तक में युद्ध कैदी के तौर पर भोगे गए उत्पीड़न का खूब जिक्र किया गया है।
मैक्केन के इस रवैये पर 'वियतनाम वेटरन मेमोरियल फंड' के प्रभारी चक सिएर्सी को दुख पहुंचा है। वह मैक्केन को एहसान फरामोश मानते हैं। वह बताते हैं कि "1995 में माई ने मैक्केन के नाम मुझे एक पत्र सौंपा, जिसमें कहा गया था कि मैं ही वह शख्स हूं जिसने आपकी जान बचाई थी। मैं कामना करता हूं कि आप एक दिन अमेरिका के राष्ट्रपति बने।"
सिएर्सी बताते हैं कि तब किसी ने यह कल्पना नहीं की होगी कि मैक्केन राष्ट्रपति पद के दावेदार भी बनेंगे, लेकिन माई मैक्केन को राष्ट्रपति के तौर पर देखना चाहते थे, लेकिन जब मैक्केन को यह पत्र भेजा गया तो उनके कार्यालय से जवाब आया कि मैक्केन की ऐसी फंतासी और आधारहीन कहानी में कोई दिलचस्पी नहीं है।
बाद में उसी वर्ष वाशिंगटन में मैक्केन से सिएर्सी की मुलाकात हुई और जब सिएर्सी ने पूरे दावे के साथ मैक्केन को यह कहानी सुनाई तब जाकर वह माई से मिलने को राजी हुए। सिएर्सी बताते हैं कि मैक्केन ने माई को जो उपहार भेंट किए थे वह बेहद तुच्छ थे, लेकिन माई उसे ऐसे संभालकर रखते थे जैसे वह अमेरिकी कांग्रेस का मेडल हो।
वर्ष 2006 में माई के निधन की खबर मैक्केन को भी दी गई, पर मैक्केन ने उनकी श्रद्धांजलि में दो शब्द कहना भी मुनासिब नहीं समझा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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