इंसान और भालू के अनोखे जज्बाती रिश्ते पर कानून की गाज
क्योंझर (उड़ीसा), 26 जून (आईएएनएस)। मोगली और बालू की दिलचस्प कहानी विख्यात लेखक रुडयार्ड किपलिंग की कल्पना की उड़ान हो सकती है, पर 'जंगल बुक' की यह कहानी उड़ीसा में दोहराई जा रही है।
दिल को छू लेने वाली यह वास्तविक कहानी रानी नामक भालू, उसके पालनहार रामा सिंह मुंडा और मुंडा की पुत्री गोलकी के इर्द-गिर्द घूमती है।
कानून ने रानी, मुंडा और गोलकी को जुदा कर दिया, जबकि इन तीनों की जिंदगी एक-दूसरे के बगैर सूनी है। मादा भालू रानी मुंडा के परिवार में ऐसे पली जैसे वह जानवर नहीं, मुंडा की बेटी हो। क्योंझर जिले के रूइतिसिला गांव के रहने वाले मुंडा ने अपनी बेटी गोलकी की तरह ही इस भालू की परवरिश की। रानी और गोलकी सहेली बन गईं।
अपने घर में भालू पालने के कारण मुंडा को वन्यजीव संरक्षण कानून के उल्लंघन के आरोप में 19 जून को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें गिरफ्तार करने वाले वन अधिकारी बिष्णु चरण बेहेरा ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा, "रानी महज दो या तीन दिन की ही थी जब एक दिन वह मुंडा के पीछे लग गई। मुंडा ने अधिकारियों को बताया कि उसने कई बार रानी को जंगल में छोड़ा, पर हर बार वह मुंडा के घर लौट आई। हमने मुंडा को इसलिए गिरफ्तार किया, क्योंकि वन्यजीव कानून घर में संरक्षित जीव पालने की इजाजत नहीं देता।"
मुंडा की बेटी गोलकी रानी के बगैर अपनी जिंदगी की कल्पना नहीं कर सकती। उसे रानी की याद सताती है, जबकि रानी से दूर होकर मुंडा सदमे में है। उन्होंने अधिकारियों से फरियाद की कि इस भालू के बगैर वह जिंदा नहीं रह सकते। उधर, नंदनकानन उद्यान में रह रही रानी भी सदमे में है। वह उदास रहती है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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