भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एटमी करार जरूरी : कस्तूरीरंगन
दुबई, 26 जून (आईएएनएस)। विख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिक और बंगलौर स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज(एनआईएएस) के निदेशक क़े कस्तूरीरंगन ने कहा है कि अगर भारत अग्रणी आर्थिक ताकत बनना चाहता है, तो उसे अमेरिका के साथ परमाणु समझौता करने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था के लिए इस करार को बेहद जरूरी बताया।
दुबई, 26 जून (आईएएनएस)। विख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिक और बंगलौर स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज(एनआईएएस) के निदेशक क़े कस्तूरीरंगन ने कहा है कि अगर भारत अग्रणी आर्थिक ताकत बनना चाहता है, तो उसे अमेरिका के साथ परमाणु समझौता करने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था के लिए इस करार को बेहद जरूरी बताया।
आईएएनएस के साथ एक साक्षात्कार में कस्तूरीरंगन ने कहा कि एटमी करार के लिए यह मौका बेहद उपयुक्त है और भारत को इसे हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। संयुक्त अरब अमीरात के रास अल खैमाह अमीरात में आयोजित एक कांफ्रेस में भाग लेने आए कस्तूरीरंगन के कहा, "भारत को इस मौके को भुनाना होगा। करार हमें एक ऐसे देश के साथ मिलकर काम करने का मौका देगा जो अत्याधुनिक तकनीकी संसाधनों से लैस है।"
देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित नागरिक सम्मानों में से एक पद्म विभूषण से सम्मानित कस्तूरीरंगन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) के प्रमुख रह चुके हैं। वह राजनीतिक पार्टियों की इस धारणा को गलत मानते हैं कि करार के कारण भारत की एटमी सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।
उन्होंने कहा, "अगर हम 25 से 50 वषों में परमाणु बिजली उत्पादन को 60000-100,000 मेगावाट के बिंदु पर पहुंचाना चाहते हैं, तो हमें अमेरिका के साथ इस करार पर जरूर आगे बढ़ना चाहिए। हमारे देश में जितना यूरेनियम उपलब्ध है, उससे अधिकतम 10,000 मेगावाट बिजली ही पैदा हो सकती है। बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमें ऐसे करार की अहमियत समझनी होगी।"
उन्होंने बताया कि भारत ने तीन दशक पहले की ऊर्जा किल्लत दूर करने में परमाणु संसाधन की अहमियत समझ ली थी। तब देश ने तीन चरणों वाली परमाणु ऊर्जा योजना की रूपरेखा तैयार की थी। इसी को ध्यान में रखकर यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम शुरू किया गया था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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