नेपाल से चीन के लिए 'फ्रीडम मार्च' पर निकले तिब्बती
काठमांडू, 26 जून (आईएएनएस)। सलाखों के पीछे भेजे जाने और यहां तक कि जान जाने के खतरे की अनदेखी कर तीन दर्जन से अधिक जांबाज तिब्बती नेपाल से चीन के लिए कूच कर चुके हैं। उनके इस जोखिम भरे मिशन को फ्रीडम मार्च की संज्ञा की दी गई है।
काठमांडू, 26 जून (आईएएनएस)। सलाखों के पीछे भेजे जाने और यहां तक कि जान जाने के खतरे की अनदेखी कर तीन दर्जन से अधिक जांबाज तिब्बती नेपाल से चीन के लिए कूच कर चुके हैं। उनके इस जोखिम भरे मिशन को फ्रीडम मार्च की संज्ञा की दी गई है।
इस फ्रीडम मार्च में शामिल तिब्बती बौद्ध भिक्षु और भिक्षुणी हैं। इनका उद्देश्य तिब्बत समस्या की ओर दुनिया का ध्यान खींचना है। 23 भिक्षुओं, 17 भिक्षुणियों और दो अन्य तिब्बती युवकों का यह जत्था काठमांडू के बाहरी छोर पर स्थित एक ठिकाने से बुधवार को रवाना हुआ। उन्होंने नेपाल पुलिस की नजरों से बचने के लिए खास सतर्कता और गोपनीयता बरती।
अपनी तरह के इस प्रथम मिशन में शामिल तिब्बती दुनिया का ध्यान आकृष्ट करने के लिए मौत को गले लगाने से भी परहेज नहीं करेंगे। यह जत्था दुर्गम घाटियों और चोटियों को लांघते हुए तिब्बत पहुंचेगा। एक तिब्बती कार्यकर्ता ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि काफी सोच समझकर इस मार्च का फैसला किया गया है।
उन्होंने कहा, "ये तिब्बती शहादत की भावना से भरे हुए हैं। कोई भी उन्हें उनके लक्ष्य से दूर नहीं कर सकता। हमें मालूम है कि चीन इन पर गोलियां भी बरसा सकता है, लेकिन हमें इसकी कोई परवाह नहीं है। हम ओलंपिक के दौरान तिब्बत की ओर दुनिया का ध्यान खीचेंगे। नेपाल की पुलिस हमें शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने नहीं देती, इसलिए हमारे पास दूसरा और विकल्प नहीं रह गया है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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