मरने वाले कभी लौटते नहीं, लेकिन उप्र है अपवाद
लखनऊ,
25
जून
(आईएएनएस)।
आमतौर
ेकहा
यही
जाता
है
कि
मरने
वाले
कभी
लौटकर
नहीं
आते,
लेकिन
उत्तरप्रदेश
इसका
अपवाद
है।
यहां
हाल
ही
में
पुलिस
ने
दो
ऐसे
वांछित
अपराधियों
को
गिरफ्तार
किया
है,
जिन्हें
उसके
परिजन
मृत
घोषित
कर
चुके
थे।
उत्तरप्रदेश में विभिन्न आपराधिक मामलों में 200 से अधिक ऐसे वांछित अपराधी हैं, जिन्हें पुलिस तो जीवित मानती है, लेकिन वे मृत घोषित किए जा चुके हैं।
राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, "हमें पता चला है कि 200 से अधिक ऐसे वांछित अपराधी हैं जो संभवत: जीवित हैं।"
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) बृजलाल ने स्वीकार किया कि गिरफ्तारी से बचने सबसे आसान तरीका फर्जी मौत है। उन्होंने कहा, "यह काफी पुराना फार्मूला है।"
बृजलाल ने कहा, "विभिन्न जिलों में स्थानीय खुफिया विभाग इस प्रकार के मामलों पर खास तौर पर नजर रखे हुए है, ताकि तथाकथित 'मृतक' अपराधी गिरफ्तार किए जा सके।"
लखनऊ पुलिस ने 16 जून को एक दोहरे हत्यााकंड के अभियुक्त दिलीप को गिरफ्तार किया था, जबकि दिलीप की मां ने अदालत को बताया था कि उसके बेटे की मौत हो चुकी है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अखिल कुमार ने आईएएनएस को बताया कि दिलीप पर वर्ष 1994 में रायबरेली में एक ऑटो रिक्शा चालक और उसके सहायक की हत्या करने का आरोप था।
पुलिस ने श्याम बाबू नाम के एक अन्य अभियुक्त को गिरफ्तार किया। बाबू अलीगढ़ चिकित्सा महाविद्यालय के डाकघर में लिपिक था। उस पर दो करोड़ रुपये के गबन का आरोप था।
पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए उसने एक शराबी को कथित तौर पर हाथरस स्टेशन के नजदीक रेलवे पटरी पर धक्का दे दिया था, जिससे उसकी मौत हो गई था। इसके बाद बाबू ने अपना सभी सामान वहां छोड़ दिया, ताकि लोग यह समझें कि बाबू की ही मौत हो गई।
इंडो-एशियन
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