काशी में गंगा उफान पर
वाराणसी में गंगा में बढ़ाव रविवार शाम पांच बजे से ही दिखना शुरू हो गया था। देखते ही देखते घाट की सीढ़ियां बाढ़ के पानी में डूबने लगी। लगभग 10 इंच प्रति घण्टे की रफ्तार से जलस्तर बढ़ने से पूरी रात घाटों के किनारे अफरातफरी मची रही। घाटों के पंडे जब तक अपनी चौकियों को हटाकर ऊपर ले जाते, तब तक बाढ़ का पानी वहां पहुंच जा रहा था। मल्लाह अपनी नावों को बहने से बचाने के लिए पूरी रात कसरत करते रहे।
आज सुबह दर्शनार्थी जब गंगास्नान के लिए पहुंचे, तो नजारा बदला हुआ था। गंगा का पानी काफी ऊपर आ चुका था। दशाश्वमेघ घाट पर बाढ़ का पानी गंगा आरती के लिए बने मंच को डुबोते हुए तेजी से ऊपर बढ़ रहा था। राजेन्द्र प्रसाद घाट पर बना पक्का मंच आज 11 बजे तक डूब गया था। शाम की आरती के समय तक शीतला मन्दिर की सीढ़ियों तक पानी आ चुका था।
सभी घाटों पर एक दूसरे को जोड़ने वाले मागरे के डूबने से सबसे ज्यादा परेशानी विदेशी पर्यटकों को हो रही है। अमेरिका से वाराणसी घूमने आयी मिशेल ने बताया कि वह तीन दिनों के लिए यहां आयी थीं। सोचा था कि दुनिया के सबसे पुराने शहर का खूब जमकर नजारा करुंगी, लेकिन अफसोस है कि वह ऐसा करने से वंचित रह गईं।
इसी तरह स्विटजरलैंड की चेलसी बहुत दुखी मन से बताई कि गंगा की तेज धारा की वजह से नदी में जाना वर्जित है और पानी की वजह से पैदल चलना मुश्किल है। इसलिए इस बार हमारा यहां आना लगभग बेकार ही हो गया।
गंगा में अचानक हुई बढ़ोत्तरी से तटवर्ती इलाकों के लोगों ने सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए अपना सामान बांधना भी शुरू कर दिया है। यदि अगले 24 घण्टों में जलस्तर इसी गति से बढ़ता रहा, तो बाढ़ का पानी शहर की ओर आने लगेगा। इस स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन भी सतर्क हो गया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।