महंगाई दर रहेगी 7 प्रश से अधिक
फिक्की के अनुसार देश में बढ़ रही महंगाई के लिए वाह्य परिस्थितियां जिम्मेदार है, जिसे घरेलू मौद्रिक उपायों के सहारे नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।
महंगाई को लेकर अपने अध्ययन में फिक्की ने कहा है कि तेल, जिंस व खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि वैश्विक समस्या है, जिस पर मौद्रिक उपायों के सहारे लगाम नहीं लगाया जा सकता।
फिक्की के मुताबिक चूंकि देश में महंगाई दर बढ़कर पिछले 13 वर्षो के उच्चतम स्तर यानी 11.05 फीसदी तक पहुंच गई है, इसलिए सरकार को महंगाई को प्रोत्साहित करने वाली नीतियों पर पुनर्विचार करना चाहिए।
फिक्की के इस सर्वेक्षण में उद्योग जगत से संबंधित ज्यादातर सदस्यों ने इस बात का समर्थन किया कि महंगाई आगे भी जारी रहेगी।
फिक्की के अनुसार सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 68 फीसदी सदस्यों ने इस बात को स्वीकार किया कि मौजूदा महंगाई दर आने वाले छह महीनों के दौरान या तो बरकरार रह सकती है या और बढ़ सकती है जबकि 38 फीसदी सदस्यों ने महसूस किया कि आने वाले छह महीनों के दौरान देश में महंगाई दर सात से आठ फीसदी के बीच रह सकती है।
कुल 19 फीसदी सदस्यों ने इन महीनों के दौरान महंगाई दर के आठ से नौ फीसदी रहने का अनुमान जताया है। छह फीसदी सदस्यों ने संभावना जताई है कि इस अवधि के दौरान महंगाई नौ से दस फीसदी के बीच रह सकती है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।