रैनबैक्सी की पहचान सुरक्षित: मालविंदर
समाचार पत्र 'संडे टेलीग्राफ' में छपी एक भेंटवार्ता में मालविंदर ने कहा, "रैनबैक्सी भारतीय कंपनी थी, भारतीय कंपनी है और भारतीय कंपनी बनी रहेगी। हमारा मुख्यालय भारत में है, कंपनी में ज्यादातर लोग हमारे हैं। अभी भी हम भारत में सूचीबद्ध हैं। कोई बदलाव नहीं हुआ है।"
सिंह रैनबैक्सी में 34.8 प्रतिशत पारिवारिक हिस्सेदारी डाईची सैंक्यो को बेचे जाने और 4.6 डालर मूल्य के 20 प्रतिशत शेयरों के लिए अलग से सौदे की पेशकश के बारे में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, "यह मामला भारत में बहुत ज्यादा भावनात्मक है। इस सौदे से लोग अचंभित थे। हमेशा लोगों को रैनबैक्सी के भारतीय कंपनी होने का गर्व रहा है।"
सिंह ने कहा कि कंपनी के विस्तार और विकास के लिए पारिवारिक हिस्सेदारी बेचना जरूरी था। उन्होंने कहा कि उनके दादाजी ने वर्ष 1961 में कंपनी की शुरुआत की थी। उनके पिताजी ने इसे विश्वस्तरीय कंपनी बनाया और वे इसे और ज्यादा समृद्ध और मजबूत स्वरूप देना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि कंपनी में पारिवारिक हिस्सेदारी को बेचने का फैसला उनके लिए भावनात्मक था, क्योंकि वे इस कंपनी को संचालित करने वाले परिवार की तीसरी पीढ़ी के सदस्य हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।