असम में बाढ़ पीड़ित भिखारी बनने को मजबूर
सामाजिक परिवर्तन और पर्यावरण सुरक्षा संगठन ( एसएसटीईपी) नामक एक गैर सरकारी संस्था ने बेघर लोगों से बीच विस्तृत सर्वेक्षण करने के बाद यह जानकारी दी।
राजधानी में फुटपाथ पर गुजर-बसर कर रहे लोगों के बीच किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला कि यहां राज्य भर से आए 1500 बाढ़ पीड़ितों ने गत तीन वर्षो में अपना घर बना लिया है।
सर्वेक्षण के अनुसार संस्था से जुड़े दो हजार लोगों में ज्यादातर लोग बाढ़ पीड़ित हैं जबकि इसमें कुछ लोग मानसिक और शारीरिक रूप से असक्षम हैं। उल्लेखनीय है कि इसमें महिलाएं, बच्चे और बेरोजगार युवक भी शामिल हैं।
एसएसटीईपी के संस्थापक सदस्य सत्तार चौधरी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "हम लोग पाते हैं कि राज्य में बाढ़ आने के बाद गुवाहाटी में भिखारियों की संख्या बढ़ जाती है। इस वर्ष भी आने वाले कुछ दिनों में ऐसा होने वाला है।"
उन्होंने कहा, "बाढ़ में अपना सब कुछ खो चुके लोग गुवाहाटी के फुटपाथ पर पुन: अपनी जिंदगी शुरू करते हैं लेकिन उनका जीवन फुटपाथ तक ही सीमित रह जाता है।"
उल्लेखनीय है कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष बाढ़ में 10 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि पांच लाख लोग प्रभावित हुए हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।