बसपा ने महंगाई को मुद्दा बना केंद्र सरकार से समर्थन वापस लिया (लीड-1)
नई दिल्ली, 21 जून (आईएएनएस)। कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) और उसे बाहर से समर्थन दे रहे वामपंथी दलों के बीच भारत-अमेरिका परमाणु असैन्य समझौते को लेकर बढ़ती तकरार के बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने आज केंद्र सरकार से समर्थन वापस ले लिया।
बसपा ने इस आरोप के साथ संप्रग सरकार से समर्थन वापस लिया है कि वह खाद्य पदार्थो की आसमान छूती कीमतों को रोक पाने में पूरी तरह विफल रही है।
बसपा सुप्रीमो व उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने आज दिल्ली में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, "आम आदमी के साथ-साथ पार्टी का हित ध्यान में रखते हुए बसपा आज केंद्र की संप्रग सरकार से समर्थन वापस लेती है।"
उन्होंने कहा कि समर्थन वापसी के संबंध में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी और राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी को पत्र भेजा जा चुका है।
मायावती ने कहा, "महंगाई पर काबू पाने में केंद्र सरकार पूरी तरह विफल रही है। हमारे लिए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एकसमान हैं। कांग्रेस हमारी छवि धूमिल करने का प्रयास कर रही है।"
उन्होंने केंद्र सरकार पर ताज कोरिडोर मामले में बसपा को परेशान करने का आरोप लगाया। ज्ञात हो की केंद्रीय जांच ब्यूरो इस मामले की जांच कर रही है।
समर्थन वापसी के इस मौके पर मायावती ने केंद्र सरकार पर उत्तरप्रदेश के साथ भेदभाव बरतने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड और पूर्वाचल के विकास के लिए उनकी सरकार केंद्र से लगातार 800 अरब रुपये मांगती रही है लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया।
समर्थन वापसी का एक कारण यह भी माना जा रहा है कि जिस प्रकार कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच हाल के दिनों में नजदीकियां बढ़ी हैं, वह बसपा को नहीं सुहा रही थी।
उन्होंने कहा, "संप्रग सरकार के खिलाफ संसद में यदि अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है तो हम मुद्दों के आधार पर अपना फैसला लेंगे।"
ज्ञात हो कि लोकसभा में बसपा के 17 सदस्य हैं। समर्थन वापसी से हालांकि केंद्र सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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