आरुषि कांड का राजनैतिक इस्तेमाल
उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने आज जैसे ही आरुषि हत्याकांड मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की सिफारिश की वैसे ही केंद्र सरकार ने उनकी इस सिफारिश को तत्काल नकार दिया। इस तरह इस मामले को लेकर कांग्रेस और बसपा आमने-सामने आ गए हैं।
मायावती ने इससे पहले लखनऊ में कांग्रेस नेतृत्व वाली संप्रग सरकार पर इस हत्याकांड को लेकर ओछी राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने केंद्रीय महिला व बाल कल्याण मंत्री रेणुका चौधरी का नाम लिए बगैर कहा कि कांग्रेस इस पूरे मामले में पीड़ित परिवार के प्रति सहानुभूति कम दिखा रही है और राजनीति ज्यादा कर रही है।
उन्होंने बाल अधिकार संबंधी राष्ट्रीय आयोग द्वारा इस मामले में दखल दिये जाने को अनावश्यक और राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि आयोग द्वारा उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक को इस बाबत नोटिस दिया जाना राजनीति से प्रेरित लगता है।
मायावती का यह कहना भर था कि रेणुका चौधरी ने इधर दिल्ली में कहा, "यह कितने दुर्भाग्य की बात है कि एक महिला मुख्यमंत्री एक युवती की जिंदगी को राजनीति के सांचे में तौल रही है। मैने अपने बयान में एक मां के दर्द और गुस्से की अनुभूति को बयान किया था। मायावती शादीशुदा नहीं हैं इसलिए वह इस दर्द को कैसे समझ सकती हैं।"
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने भी मायावती के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा, "हमें समझ में नहीं आता कि मायावती ने आरुषि मामले में एक जांच एजेंसी का रुख कैसे अख्तियार कर लिया। उनकी सीबीआई जांच की मांग से लगता है कि उन्हें अपने पुलिस पर भरोसा नहीं रहा।"
तिवारी ने कहा कि जहां तक मामले की सीबीआई जांच की बात है तो केंद्र सरकार इसके सभी पहलूओं पर विचार करने के बाद तय करती है कि इस मामले में सीबीआई जांच की जरूरत है कि नहीं।
आरोप-प्रत्यारोप के इस खेल में भाजपा भी कूद पड़ी है। भाजपा उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने भी बसपा प्रमुख मायावती को निशाने पर लिया और कहा कि माया राज में सूबे के हर जिले में 'हाथी' का 'हॉरर शो' चल रहा है। ऐसा लग रहा है राज्य का पुलिस तंत्र बेकाबू हो गया है और माया का अपने पुलिस बल से भरोसा उठ गया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।